![]() |
Despatch Movie Experts Review |
Despatch Review By Komal Nahata(Filminformation)
"कनु बहल का निर्देशन दर्शकों के एक छोटे से वर्ग को ही आकर्षित करता है, जिसे हम क्लास ऑडियंस कहते हैं। स्नेहा खानवलकर का बैकग्राउंड म्यूजिक आकर्षक है। सिद्धार्थ दीवान की सिनेमैटोग्राफी काफी अच्छी है। विक्रम दहिया के एक्शन और स्टंट सीन काफी रोमांचक हैं, लेकिन उन्हें और भी रोमांचक होना चाहिए था, खासकर आम लोगों के लिए। श्रुति गुप्ते की प्रोडक्शन डिजाइनिंग और दयानिधि पट्टुराजन और अमरीश पतंगे का आर्ट डायरेक्शन औसत दर्जे का है। मानस मित्तल और समर्थ दीक्षित का संपादन और भी शानदार होना चाहिए था। फिल्म कई जगहों पर ढीली और उबाऊ लगती है।"
Despatch Review By Priyanka(E24)
"फिल्म देखने के बाद आप सोचेंगे कि इस सारी दौड़-भाग, मशक्कत का क्या फायदा? यही Despatch का मकसद भी है। मनोज बाजपेयी ने फिल्म में शानदार काम किया है और अपनी एक्टिंग से लोगों को इंप्रेस कर दिया है। अर्चिता अग्रवाल और ऋतुपर्णा सेन ने भी अच्छा काम किया है। फिल्म में गालियों और सेक्स सीन्स खूब भरे हुए हैं और यह फिल्म 2 घंटे 33 मिनट की है, अगर आप भी यह फिल्म देखने वाले हैं, तो आपको ईयरफोर और मोबाइल स्क्रीन से नजरें नहीं हटानी है।"
Despatch Review By Pankaj Shukla(Amar Ujala)
"ये भी महज एक संयोग ही हो सकता है कि परदे पर पत्रकार ज्योतिर्मय डे यानी जे डे से मिलता जुलता किरदार जॉय बाग (एंड क्रेडिट्स में जॉय देब) निभा रहे मनोज बाजपेयी की उम्र ठीक उतनी ही, जिस उम्र में जे डे को नई मुंबई में सरे राह गोलियों से भून दिया गया। ऑफ्टरनून डिस्पैच एंड कूरियर अखबार में काम कर चुके जे डे की हत्या से पहले की घटनाओं से प्रेरित दिखती फिल्म ‘डिस्पैच’ उन लोगों को दिलचस्प लग सकती है जिन्होंने नेटफ्लिक्स पर रिलीज निर्देशक हंसल मेहता की वेब सीरीज ‘स्कूप’ देखी है।"
Despatch Review By Himanshu Soni(News 24)
"ये ओटीटी का कमाल ही है, कि ऐसी कहानियों को जगह मिल रही है, जो बिल्कुल वैसी हैं – जैसे हमारी आज की दुनिया। गालियां और सेक्स सीन्स इस 2 घंटे 33 मिनट की फिल्म में भर-भरकर है तो ईयरफोर और मोबाइल स्क्रीन पर ही टिके रहने की वार्निंग देना ज़रूरी है।"
Despatch Review By Prashant Jain(NBT)
"फिल्म के डायरेक्टर कनु बहल ने एक क्राइम ड्रामा फिल्म बनाने की पूरी कोशिश की, लेकिन अफसोस कि वह कहानी के मोर्चे पर पिछड़ गए। फिल्म का स्क्रीनप्ले भी कमजोर है। अगर वह कहानी पर थोड़ा और काम करते, तो शायद बेहतर फिल्म बना सकते थे। शुरुआत में फिल्म आपको उम्मीद जगाती है, लेकिन फिर जल्दी ही यह पटरी से उतर जाती है। हालांकि मनोज बाजपेयी ने अपनी शानदार ऐक्टिंग से इस कमजोर कहानी वाली इस फिल्म में भी जान डालने की पूरी कोशिश की है। फिल्म के बाकी कलाकारों ने भी ठीकठाक काम किया है।"
Despatch Review By Amit Bhatia(ABP News)
"फिल्म को कनु बहल ने डायरेक्ट किया है और उन्होंने ही इशानी बनर्जी के साथ मिलकर फिल्म को लिखा है. यही फिल्म का कमजोर प्वाइंट है, राइटिंग में धार की कमी है, मसालों की कमी है. फिल्म को कमर्शियल बनाने के लिए और चीजें डालनी चाहिए थी या कम से कम कहानी को ठीक से समझाना चाहिए था. एंडिंग काफी खराब है. कुल मिलाकर मनोज बाजपेयी की कमाल की एक्टिंग के लिए ये फिल्म देख सकते हैं."
Despatch Review By Saibal Chatterjee(NDTV)
"बहल ने फिल्म को इस तरह से गढ़ा है कि जॉय की मजबूरियों, मुश्किलों और आवेगों को स्पष्ट रूप से नहीं दिखाया गया है। और यही बात, किसी भी अन्य चीज़ से ज़्यादा, डिस्पैच को एक धीमी मौत की भविष्यवाणी का एक कुशल वृत्तांत बनाती है - एक साहसी व्यक्ति और पत्रकारिता के उस ब्रांड की, जिसके इर्द-गिर्द उसने अपना करियर बनाया है। यदि आप पुष्पा द्वारा किए गए उत्पात से तंग आ चुके हैं तो डिस्पैच फिल्म आपके लिए है।"
Despatch Review By Urmila Kori(Prabhat Khabar)
"कुल मिलाकर डिस्पैच कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार, मीडिया की मिलीभगत और एक पत्रकार के संघर्ष और दुर्दशा को भी दिखाता है,लेकिन प्रभावी ढंग से परदे पर कुछ नहीं आ पा पाया है.शुरुआत सधे हुए ढंग से होती है, लेकिन कहानी के स्क्रीनप्ले में उतार -चढ़ाव की कमी खलती है.मनोज बाजपेयी के चेहरे और संवाद में जितना टेंशन दिखता है.वह कहानी और स्क्रीनप्ले में नजर नहीं आ पाया है. स्क्रीनप्ले कई बार कंफ्यूज भी करता है. क्रिकेट टूर्नामेंट, मनी लॉन्ड्रिंग,शैल कंपनी, 2 जी स्पेक्ट्रम सबकुछ एक साथ शामिल कर लिया गया है. दूसरे पक्षों की बात करें तो फिल्म में जमकर गालियां और बोल्ड सीन्स भी हैं.फिल्म की सिनेमेटोग्राफी उम्दा है, जो कहानी और किरदारों को बखूबी सामने लेकर आते हैं."
Despatch Review By Dhaval Roy(Times Of India)
"डिस्पैच अपराध पत्रकारिता के अपने चित्रण में प्रभावी है और ऐसी जानकारी के मूल्य की खोज करती है जो जीवन को बचा सकती है या समाप्त कर सकती है। अपनी गति और गंभीर नस के बावजूद, यह एक बार देखने लायक है।"