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Vijay 69 Netflix Movie Experts Review |
Vijay 69 Review By Komal Nahata(Filminformation)
"अक्षय रॉय का निर्देशन ठीकठाक है। गौरव चटर्जी का बैकग्राउंड म्यूजिक ठीकठाक है। साहिल भारद्वाज की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है। सुनील रोड्रिग्स के एक्शन और स्टंट सीन फंक्शनल हैं। मीनल अग्रवाल की प्रोडक्शन डिजाइनिंग ठीकठाक है। मानस मित्तल का संपादन काफी शार्प है। कुल मिलाकर विजय 69 एक औसत फिल्म है।"
Vijay 69 Review By Priyanka singh(Jagran)
"जहां कमर्शियल फिल्में बिना अच्छी कहानी के बड़े बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का दावा करते नहीं थक रही हैं,वहीं यह फिल्म साबित करती है कि अच्छी फिल्म बनाने के लिए बड़ा बजट नहीं, बल्कि अच्छी कहानी और साफ नीयत चाहिए। फिल्म की कहानी, पटकथा, संवाद लिखने वाले निर्देशक अक्षय रॉय न ही कहानी में कहीं से चूकते हैं, न ही निर्देशन में। बुढ़ापे में चीयरलीडर बनकर साथ देने वाले हमसफर की कमी, सच्चे दोस्तों की जरुरत, खुद की पहचान को दोबारा खोजने का संघर्ष ऐसी कई बातों को छूते हुए फिल्म आगे बढ़ती है।"
Vijay 69 Review By Pankaj Shukla(Amar Ujala)
"फिल्म ‘विजय 69’ पूरी तरह से अनुपम खेर की फिल्म है। उनकी अदाकारी अनुपम है। नेटफ्लिक्स पर फिल्मों में गालियों को ‘बीप’ करने की जरूरत नहीं होती। लेकिन, ओटीटी पर फिल्म आ रही है तो इसमें एक दो गालियां घुसेड़ दी जाएं, ये सोच बहुत घातक है। ऐसी कोशिशें पूरे परिवार के साथ देखी जा रही किसी फिल्म को बीच में ही बंद करने पर भी लोगों को मजबूर कर देती हैं। फिल्म में सहायक कलाकारों के लिए ज्यादा गुंजाइश अनुपम खेर ने छोड़ी नहीं है लेकिन व्रजेश हीरजी, अंद्रिजा सिन्हा और मिहिर आहूजा का काम अच्छा है। चंकी पांडे ने जरूरत से ज्यादा ओवरएक्टिंग है। फिल्म का गीत संगीत पक्ष भी कमजोर रह गया है।"
Vijay 69 Review By Vishnu Sharma(Zee News)
"अनुपम खेर ने तो मानो अपनी जान ही इस मूवी में लगा दी है, लेकिन कहानी को 112 मिनट खींचना काफ़ी भारी पड़ गया लगता है. ऐसे में मीडिया वालों को जोकर की तरह पेश करना, और अनुपम व मिहिर आहूजा की नक़ली लड़ाई मूवी को पूरा उल्टा चश्मा बना देती है, हँसें या रोयें समझ नहीं आता. कई दृश्यों को जानबूझकर लंबा खींचा गया है, कई किरदार ग़ैर ज़रूरी नजर आते हैं."
Vijay 69 Review By Rekha Khan(NBT)
"निर्देशक अक्षय रॉय ने फिल्म के जरिए एक बेहद जरूरी बात उठाई है कि क्यों बुजुर्गों को नकारा मान लिया जाए। उनकी कहानी भावुक भी खूब करती है, मगर कहानी को बुनने के लिए उन्होंने जिस तरह का माहौल और किरदार गढ़े, उन्हें किसी और परिवेश में थोड़ी और डेप्थ के साथ प्रस्तुत किया जाता, तो मजा और बढ़ जाता। स्क्रीनप्ले भी कई जगहों पर डगमागता है, मगर इंस्पिरेशन वाला जज्बा मजबूती देता है। मीडिया को फूहड़ अंदाज में पेश किया जाना खटकता है। कहानी के कुछ हिस्सों में दोहराव भी नजर आता है।"
Vijay 69 Review By Arushi Jain(India Today)
"अक्षय रॉय यह समझने में विफल हो जाते हैं कि समाज के इस अक्सर उपेक्षित वर्ग की कहानी कहने के लिए एक नए दृष्टिकोण की आवश्यकता है। हाथ-पैर फड़फड़ाते हुए फिनिश लाइन पर पहुँचने वाले बुज़ुर्ग व्यक्ति का दृश्य उनके संघर्षों को दिखाने के लिए पर्याप्त नहीं है - हमने ऐसा बहुत बार देखा है। इसके बजाय, वह एक लोकप्रिय, सिटकॉम-शैली के सेटअप पर अड़े रहते हैं जो अंततः कथा की क्षमता को कमजोर कर देता है।"
Vijay 69 Review By Sonal Pandya(Times Now)
"निर्देशक अक्षय रॉय की पटकथा लगभग दो घंटे की फिल्म में बहुत सारी कहानी समेटे हुए है। विजय के अतीत, उसके आस-पास के लोगों के साथ उसके रिश्तों और ट्रायथलॉन को पूरा करने के उसके दृढ़ निश्चय को दर्शाते हुए, विजय 69 एक भावना से दूसरी भावना में आगे बढ़ता है। यह हास्यपूर्ण क्षणों को अच्छी तरह से कैप्चर करता है, क्योंकि बूढ़े व्यक्ति ने अपने आस-पास शुभचिंतकों का एक अच्छा समुदाय बनाया है। अधिक भावुक दृश्यों में, यह थोड़ा घटिया हो जाता है, खासकर दूसरे भाग में, कॉमेडी और ड्रामा के सभी बॉक्स को टिक करने की कोशिश करता है।"
Vijay 69 Review By Amit Bhatia(ABP News)
"अक्षय रॉय ने अब्बास टायरवाला के साथ मिलकर फिल्म को लिखा है और अक्षय ने फिल्म को डायरेक्ट किया है. अक्षय के डायरेक्शन को फुल नंबर मिलने चाहिए. उन्होंने ना सिर्फ मां बाप के सपनों पर फिल्म बनाई है बल्कि इसे आज की पीढ़ी से भी जोड़ा है. उन्होंने इमोशन्स को जिस तरह से कहानी में पिरोया है, वो काबिले तारीफ है."