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Sikandar Ka Muqaddar (Netflix) Experts Review |
Sikandar Ka Muqaddar Review By Komal Nahata(Filminformation)
"नीरज पांडे का निर्देशन शानदार है। पायल देव का संगीत कारगर है। मनोज मुंतशिर के बोल वजनदार हैं। विष्णु देवा की कोरियोग्राफी औसत दर्जे की है। संजय चौधरी का बैकग्राउंड म्यूजिक बेहतरीन है। अरविंद सिंह की सिनेमैटोग्राफी प्रथम श्रेणी के अंकों की हकदार है। अमर शेट्टी के एक्शन और स्टंट सीन यथार्थवादी हैं। मयूर शर्मा की प्रोडक्शन डिजाइनिंग बहुत अच्छी है। प्रवीण कथिकुलोथ का संपादन सुपर-शार्प है। कुल मिलाकर, सिकंदर का मुकद्दर एक अच्छी और बुद्धिमान मनोरंजक फिल्म है और दर्शकों के बीच इसकी सराहना होगी।"
Sikandar Ka Muqaddar Review By Tanya Arora(Jagran)
"फिल्म की कहानी अच्छी है। निर्देशक नीरज पांडे ने इसमें भरपूर सस्पेंस भी डाला है, लेकिन फिल्म को 2 घंटे के भीतर खत्म किया जा सकता था। तबस्सुम का किरदार अगर फिल्म में नहीं भी होता, तो भी कहानी पर ज्यादा इम्पैक्ट नहीं होता। इसके अलावा चोरी से पहले कभी एक दूसरे का नाम तक न जानने वाले कामिनी और सिकंदर के बीच अचानक लव स्टोरी कैसे शुरू हो जाती है, ये भी सोच से परे है। नीरज पांडे ने फिल्म की कहानी को शानदार तरीके से लिखने के साथ-साथ उसे अच्छी तरह से एग्जीक्यूट किया है, बस फिल्म का टाइमिंग थोड़ा ज्यादा हो गया है।"
Sikandar Ka Muqaddar Review By Pankaj Shukla(Amar Ujala)
"नीरज पांडे की फिल्मों के शौकीन हैं तो आप भी इसे पूरी देखे बिना मानेंगे नही। उसके लिए सलाह यही है कि इसे 30-30 मिनट के टुकड़ों में देख सकते हैं, एक बार में पूरी फिल्म देखने लायक सस्पेंस इसमें है नहीं।"
Sikandar Ka Muqaddar Review By Upma Singh(NBT)
"नीरज पांडे और विपुल के रावल की लिखी इस कहानी की शुरुआत रोमांचक अंदाज में होती है, जो तेज रफ्तार में आगे बढ़ती है। लेकिन जल्द ही 15 साल का सफर तय करने में आगे-पीछे होने लगती है। इसका असर यह होता है कि रोमांच कमजोर पड़ जाता है। कहानी में ट्विस्ट एंड टर्न भी कई हैं, जो बांधे रखते हैं। लेकिन ये खुलासे जिस तरह की स्टोरी टेलिंग के साथ हैं, वो चौंकाते नहीं हैं। उनका प्रभाव फीका रह जाता है। सस्पेंस-थ्रिलर के शौकीन हैं तो एक बार यह फिल्म देख सकते हैं।"
Sikandar Ka Muqaddar Review By Sonal Pandya(Times Now)
"नीरज पांडे की सिकंदर का मुकद्दर जिमी शेरगिल और अविनाश तिवारी द्वारा निभाए गए दो जिद्दी लोगों के बीच की लड़ाई है, जिनमें से दोनों को लगता है कि वे सही हैं। हिंदी फीचर उनके दृष्टिकोणों के बीच आगे-पीछे चलता है, और कहानी 2008 से 2003 तक चलती है, जब हीरे की चोरी का मामला अनसुलझा रहता है। लेखक-निर्देशक हमें वसीयत की इस पेचीदा कहानी में भावनात्मक रूप से शामिल करने की कोशिश करते हैं, लेकिन लगभग ढाई घंटे की यह फिल्म अपने आधार को खींचती है।"
Sikandar Ka Muqaddar Review By Amit Bhatia(ABP News)
"नीरज पांडे ने एक बार फिर अपने जोन में बढ़िया काम किया है, वो आपको लास्ट तक सस्पेंस में रखते हैं, कहीं फिल्म खींची हुई नहीं लगती और आपको सांस लेने का मौका नहीं देती और हां यहां आप अंदाजा बिलकुल नहीं लगा पाएंगे कि सस्पेंस है क्या. कुल मिलाकर अच्छी फिल्म है, देख डालिए"
Sikandar Ka Muqaddar Review By Urmila Kori(Prabhat Khabar)
"फ़िल्म इंगेज करके रखती है , लेकिन उसका अंत चौंकाता नहीं है . कई सवाल भी आते हैं कि तमन्ना का किरदार छोटा डायमंड अपने नाखून में छिपा लेता है ,लेकिन उस वक्त किस तरह से उसने छिपाया था .फ़िल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक रोमांच को बढ़ाता है .खामियों में गीत संगीत है .जो इस थ्रिलर की गति को बाधित करते हैं .इसके साथ ही फ़िल्म में महिला पात्रों की अनदेखी की गई है.जोया अफरोज,रिद्धिमा पंडित और दिव्या दत्ता को करने के लिए कुछ खास नहीं था. तमन्ना के किरदार का स्क्रीन टाइम तो है लेकिन गहराई नहीं है l बाक़ी के पहलू कहानी के अनुरूप हैं."
Sikandar Ka Muqaddar Review By Archika Khurana(Times Of India)
"सिकंदर का मुकद्दर अपने दमदार अभिनय और दिलचस्प शुरुआत के लिए देखने लायक है, लेकिन यह उस मनोरंजक थ्रिलर में से नहीं है जिसकी इस शैली के प्रशंसक उम्मीद कर सकते हैं।"