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Kanguva Movie Experts Review |
Kanguva Review By Narendra Saini(NDTV)
"कंगुवा को देखकर साफ लगता है कि कुछ सीन फिल्म को खींचने के लिए डाले गए हैं क्योंकि पार्ट 2 भी तो आना है. वैसे अगर देखा जाए तो फिल्म के दूसरे पार्ट की जरूरत नहीं दिखती है. कहानी को बखूबी एक ही बार में दिखाया जा सकता था. दो पार्ट के चक्कर में फिल्म लंबी लगती है और सूर्या की शानदार एक्टिंग पर पानी फेर देती है. फिल्म में अगर दिशा पाटनी की जगह बॉबी देओल को स्क्रीम टाइम ज्यादा देते तो बेहतर होता. वैसे फिल्म एक बार देखी जा सकती है."
Kanguva Review By Pankaj Shukla(Amar Ujala)
"सिनेमैटोग्राफर से लेखक और लेखक से निर्देशक बने शिवा के लिए ये फिल्म शुरू से चुनौती रही है। वह एक के बाद एक हिट फिल्में देने के लिए तमिल और तेलुगु दोनों भाषाओं के सिनेमा में खासी दखल रहते हैं, लेकिन ‘कंगुवा’ उनके लिए बड़ा झटका साबित होने जा रही है। सूर्य के प्रशंसकों को ये फिल्म शायद ही पसंद आए और हिंदी पट्टी में जो लोग इसे लॉर्ड बॉबी देओल के लिए देखने जाएंगे, वे अपने इस फैसले पर पछताते ही नजर आएंगे। इंटरवल के पहले ही दर्शक थक जाता है, कुछ फिल्म की लंबाई के चलते, कुछ फिल्म के उबाऊ होने के चलते।"
Kanguva Review By Subodh Mishra(Aaj Tak)
"कुल मिलकर 'कंगुवा' में एक अनोखा संसार क्रिएट करने की मेहनत, क्रिएटिव आईडिया और विचार तो पूरा नजर आता है. मगर कोई भी क्रिएटिव आईडिया बिना राइटिंग के सपोर्ट के वैसा ही लगता है जैसी 'कंगुवा' लग रही है. फिल्म देखने का फैसला आपको ये सोचकर लेना पड़ेगा कि खराब राइटिंग पचा पाने का आपका हाजमा कितना तगड़ा है."
Kanguva Review By Prashant Jain(NBT)
"फिल्म की शुरुआत प्राचीन और मौजूदा समय में ठीकठाक अंदाज में होती है। लेकिन इंटरवल से पहले ही कहानी पटरी से उतरने लगती है। इंटरवल के बाद तो फिल्म की कहानी और ज्यादा उलझ जाती है। हालांकि उन्होंने क्लाईमैक्स में एक सरप्राइज डालकर फिल्म को संभालने की कोशिश की है, लेकिन वह उसमें कामयाब नहीं हो पाए। अगर आप सूर्या और बॉबी देओल के बड़े वाले फैन हैं, तो ही इस फिल्म का टिकट कटाएं। लेकिन अगर आप कुछ अनूठा देखने की सोच रहे हैं, तो अपना समय और पैसा दोनों बर्बाद ना करें।"
Kanguva Review By Ishika Jain(News 24)
"फ्रांसिस और कंगुवा के किरदार में सूर्या ने जो मेहनत की है वो दिखाई दे रही है, लेकिन कहानी इम्च्योर है। फिल्म देखकर ऐसा लगता है कि दिशा पाटनी को एक्टिंग कोर्स कर लेना चाहिए। योगी बाबू का भी फिल्म में गलत इस्तेमाल किया गया है और बॉबी देओल को फिल्मों साइन करने से पहले सोचना चाहिए। 'कंगुवा' के पहले पार्ट ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। भारी बजट के साथ पैन इंडिया फिल्म बनाने की इच्छा में साउथ मेकर्स को ब्रेक लेकर कहानी कसने की जरूरत है।"
Kanguva Review By Madhav Sharma(Times Now)
"फिल्म कंगुवा शायद इस साल की बेहतरीन फिल्मों में से एक है, जो बॉलीवुड के साथ ही साउथ फिल्म इंडस्ट्री की पिछली सुपरहिट फिल्मों से भी काफी अलग है। मूवी को वर्ल्डवाइड भी काफी सराहा जा रहा है। अगर आप थिएटर में एक ऐसी फिल्म देखने के बारे में सोच रहे हैं जो आपका एक दम नई दुनिया में ले जाए तो कंगुवा आपके लिए ही है।"
Kanguva Review By Amit Bhatia(ABP News)
"ये फिल्म जब शुरू होती है तो समझ नहीं आता क्या हो रहा, धीरे धीरे समझ आना शुरू होता है लेकिन फिर दिमाग की दही होती है. कभी भी कुछ भी होता है, ऊपर से गाने आपके गुस्से को और बढ़ाते हैं. बीच-बीच में अच्छे सीन आते हैं लेकिन कुछ सीन देखने तो हम थिएटर नहीं जाते न. कुल मिलाकर आप पूरी फिल्म बड़ी हिम्मत से देख पाते हैं."
Kanguva Review By Arushi Jain(India Today)
"कंगुवा वास्तव में ऐसी महत्वाकांक्षी विचारों वाली फिल्म के लिए एक खोया हुआ अवसर है। अगर शिवा ने कंगा की पृष्ठभूमि, उसके पारिवारिक गतिशीलता और अवधि के हिस्सों और पांच कुलों के बीच सत्ता संघर्ष पर अधिक ध्यान केंद्रित किया होता, तो यह एक अधिक प्रभावी फिल्म हो सकती थी। दुख की बात है कि आज कई फिल्म निर्माता सीक्वल के कीड़े से काटे जा रहे हैं। यहाँ, एक कैमियो है जो सीक्वल का संकेत देता है। लेकिन क्या हर फिल्म को सीक्वल की जरूरत होती है? यह एक ऐसा सवाल है जो हर फिल्म निर्माता को पूछना चाहिए।"