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Dhai Aakhar Movie Experts Review |
Dhai Aakhar Review By Komal Nahata(Filminformation)
"प्रवीण अरोड़ा का निर्देशन कमज़ोर है। अनुपम रॉय का संगीत ठीकठाक है जबकि इरशाद कामिल के बोल वज़नदार हैं। अनुपम रॉय का बैकग्राउंड म्यूज़िक ठीकठाक है। संदीप जीएन यादव का कैमरावर्क ठीकठाक है। असद खान का आर्ट डायरेक्शन कुछ ख़ास नहीं है। एडिटिंग (वीएस कन्नन और राहुल जैसवाल) में काफ़ी कमी रह गई है। कुल मिलाकर, ढाई आखर एक फ्लॉप शो है क्योंकि इसमें मनोरंजन का अभाव है।"
Dhai Aakhar Review By Pankaj Shukla(Amar Ujala)
"फिल्म ‘ढाई आखर’ बनाने के लिए पहले तो इसके निर्माताओं की तारीफ होनी चाहिए कि ‘गणपत’ जैसी फिल्मों के दौर में वे ऐसी फिल्म बनाने की हिम्मत भी जुटा पाए। ऐसी फिल्मों का बनना ही एक यज्ञ है और फिल्म का रिलीज होना पूर्ण आहुति। बीते साल इफ्फी गोवा में दिखाई गई फिल्म को सेंसर सर्टिफिकेट हासिल किए साल भर से ज्यादा हो चुका है, लेकिन फिल्म की कहानी ऐसी है कि इसे पांच साल, 10 साल बाद या कभी भी देखा जाएगा, फिल्म की ताजगी बरकरार रहेगी।"
Dhai Aakhar Review By aajtak.in(Aaj Tak)
"अगर आपको फीमेल ओरिएंटेड फिल्में देखने का शौक है और आप ऐसी फिल्में देखना पसंद करते हो जिनमें किसी तरह का मेसेज है, तो ये फिल्म आपके लिए ही बनी है. फिल्म समाज को एक आइना दिखाने का काम करती है और आज के समय में औरतों पर हो रहे अत्याचारों को भी सभी के सामने रखती है. अगर आप ऐसी ही फिल्में देखने का शौक रखते हैं, तो ये फिल्म आपके दिल को जरूर छू जाएगी."
Dhai Aakhar Review By Rekha Khan(NBT)
"लेखक श्रीधर के रूप में हरीश खन्ना खूब जंचे हैं। अहंकारी और अत्याचारी पति के रूप रोहित कोकाटे ने अपने रोल के साथ हर तरह से इंसाफ किया है। छोटी बहू के रूप में प्रसन्ना बिष्ट को कहानी में अहम भूमिका मिली है, जिसे उन्होंने पूरे मनोयोग से अंजाम दिया है। बेटों के रूप में चंदन आनंद, नीर रॉय और आबादी बहू के रोल में स्मृति मिश्रा ने अच्छा साथ दिया है। साहित्य पर आधारित महिलावादी फिल्मों के शौकीन यह फिल्म देख सकते हैं।"
Dhai Aakhar Review By Amit Bhatia(ABP News)
"अमरीक सिंह दीप और असगर वजाहत ने फिल्म को लिखा है और प्रवीण अरोड़ा ने फिल्म को डायरेक्ट किया है. राइटिंग अच्छी है, हर्षिता और श्रीधऱ के बीच के सीन कमाल के लिखे गए हैं. डायरेक्शन भी अच्छा है, 1 घंटे 38 मिनट की ये फिल्म है और कहीं ये खिंची हुई नहीं लगती और बोर नहीं करती. कुल मिलाकर ये फिल्म देखी जानी चाहिए, ऐसी अच्छी फिल्मों को अगर सपोर्ट मिलेगा तो सिनेमा और बेहतर होगा."
Dhai Aakhar Review By Urmila Kori(Prabhat Khabar)
"यह फिल्म अमरीक सिंह दीप के उपन्यास तीर्थाटन पर आधारित है. कई फेस्टिवल्स में सराही गयी यह फिल्म अपने विषय की वजह से खास बन जाती है. आमतौर पर प्रौढ़ महिलाओं की इच्छाओं और ख्वाहिशों को बहुत कम रुपहले परदे पर जगह मिली है , लेकिन यह फिल्म पूरी तरह उसी की कहानी को कह रहा है. सीमित संसाधनों में बनी यह फिल्म एक ईमानदार कोशिश है."
Dhai Aakhar Review By Dhaval Roy(Times Of India)
"फिल्म की सुस्त गति और आत्मनिरीक्षण का लहजा आम दर्शकों को पसंद नहीं आ सकता है। हालांकि, जो लोग आला सिनेमा और भावनात्मक गहराई से भरपूर कहानियों की सराहना करते हैं, उनके लिए यह एक मार्मिक अनुभव प्रदान करता है।"