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Do Patti (Netflix) Experts Review |
Do Patti Movie Review By Komal Nahata(Filminformation)
"शशांक चतुर्वेदी का निर्देशन औसत दर्जे का है, लेकिन स्क्रिप्ट उतनी आकर्षक नहीं है। सचेत परम्परा और तनिष्क बागची का संगीत औसत दर्जे का है। गीत ठीक-ठाक हैं। अनुराग सैकिया का बैकग्राउंड संगीत प्रभावशाली है। मार्ट रैटसेप की सिनेमैटोग्राफी आकर्षक है। इयान स्टॉक के एक्शन और स्टंट सीन काफी रोमांचक हैं। संपादन (नमन अरोड़ा और हेमल कोठारी द्वारा) और बेहतर हो सकता था। कुल मिलाकर, दो पत्ती एक साधारण व्यंजन है।"
Do Patti Movie Review By Smita Srivastava(Jagran)
"इस फिल्म को लेकर तमाम जिम्मेदारियों में फंसी कनिका ढिल्लन बेहतर होता कि कहानी पर ही फोकस करती। फिल्म का आधा हिस्सा तो बहनों की आपसी प्रतिस्पर्धा और रिश्तों की जटिलता दिखाने में ही बीत गया। चार्मिंग से दिखने वाला ध्रुव की दोहरी शख्सियत धीरे-धीरे सामने आती है। उसके अतीत का संवादों में जिक्र है, लेकिन वह उसके व्यक्तित्व से कहीं भी मेल नहीं खाते। उसके पिता रसूखदार है लेकिन उनका दबदबा कोर्ट रूम ड्रामा में उनके वकील की दलीलें देखकर लग जाएगा। विवेक मुश्रान तो मूक दर्शक की तरह दिखते हैं। क्लाइमेक्स का पूर्वानुमान कोई भी बहुत आसानी से लगा सकता है। कुल मिलाकर दो पत्ती का खेल रोमांचक नहीं बन पाया है।"
Do Patti Movie Review By Pankaj Shukla(Amar Ujala)
"कमर्शियल फिल्मों के उस्ताद कहलाने वाले शशांक चतुर्वेदी की ये पहली फिल्म है और फिल्म के लीड कलाकारों और राइटर का दबाव उन पर साफ नजर आता है। या तो कनिका ने ये सब लिखा इसीलिए कि शशांक को ये सब क्या ही पता होगा, लेकिन दर्शकों से कुछ छुपता कहां है। थ्री एक्ट में लिखी गई ऐसी कमजोर फिल्मों के साथ दिक्कत यही है कि फर्स्ट एक्ट को किसी तरह झेल गए दर्शक, सेकंड एक्ट तक आते आते बोर हो चुके होते हैं। कनिका की आदत अपना सारा मसाला थर्ड एक्ट में उड़ेलने की रही है लेकिन मामला यहां जमा नहीं है।"
Do Patti Movie Review By Pallavi(Aaj Tak)
"फिल्म की कहानी को कनिका ढिल्लों ने लिखा है. कनिका की कहानियों की दिक्कत यही है कि वो बहुत प्रेडिक्टेबल होती हैं. 'दो पत्ती' की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. आप पिक्चर को देखते हुए समझ सकते हैं कि आगे क्या होने वाला है या हो सकता है. फिल्म के डायरेक्शन में बहुत-सी कमियां हैं. बहुत-से सीन्स काफी बनावटी लगते हैं. इसमें कोर्टरूम ड्रामा दिखाने की कोशिश की गई है, जो काफी निराशाजनक है. वो पूरा सीक्वेंस आपको अपने साथ बांधने में नाकाम होता है. फिल्म का म्यूजिक ठीकठाक है."
Do Patti Movie Review By Upma Singh(NBT)
"शशांक चतुर्वेदी के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म की कहानी, स्क्रीनप्ले और डायलॉग कनिका ढिल्लों ने लिखे हैं। घरेलू हिंसा और मेंटल हेल्थ जैसा संवेदनशील विषय होते हुए भी स्क्रीनप्ले रोचक है। अपने स्टाइल के मुताबिक, कनिका ने उसमें कई ट्विस्ट और टर्न डाले हैं। कहानी परत दर परत खुलती है। हालांकि, कुछ अहम राज पहले ही समझ में आ जाते हैं। सस्पेंस की चादर में लिपटी यह संवेदनशील विषय वाली फिल्म एक बार जरूर देखी जा सकती है।"
Do Patti Movie Review By Vineeta Kumar(India Today)
"दो पत्ती, जो थप्पड़ और पिंक जैसी संवादात्मक फ़िल्म हो सकती थी, उससे कहीं ज़्यादा बनने की कोशिश करती है और अपने ही दिखावटीपन का शिकार बन जाती है। कहानी अपने विषय को महत्वहीन नहीं बनाती, लेकिन लंबे समय तक आपके साथ बने रहने में सक्षम मज़बूत अभिनय से चूक जाती है। कई मायनों में, यह एक खोया हुआ अवसर बन जाता है।"
Do Patti Movie Review By Madhav Sharma(Times Now)
"दो पत्ती दो घंटे सात मिनट की फिल्म है। फिल्म कई बार भागती हुई नजर आती है, पर कहानी बोर नहीं करती है। फिल्म को शशांक चतुर्वेदी ने डायरेक्ट किया है। इस थ्रिलर फिल्म के पास एक मजबूत कहानी तो है, हालांकि मूवी कुछ जगह पर दमदार एक्शन सीन भी दिखाती है। मूवी को एक अच्छे पेस पर आगे बढ़ाया जाता है, जिससे यह कभी बोरिंग नहीं लगती है। यह एक अच्छी वन टाइम वॉच फिल्म कही जा सकती है, जिसे आप इस वीकेंड वॉचलिस्ट में शामिल कर सकते हैं।"
Do Patti Movie Review By Amit Bhatia(ABP News)
"कनिका ढिल्लन की कहानी इस फिल्म की सबसे बड़ी विलेन है. उन्हें कहानी में कुछ और ऐसा डालना चाहिए था जिससे वो आज के दौर की फिल्मों को टक्कर दे सकें. आज ओटीटी पर मुकाबला सिर्फ हिंदी फिल्मों में ही आपस में नही है. साउथ की फिल्मों और इंटरनेशल कंटेंट से भी है. शशांक चतुर्वेदी की डायरेक्शन ठीक है लेकिन कमजोर कहानी के आगे वो भी क्या ही कर लेते. कृति सेनन इस फिल्म की प्रोड्यूसर भी हैं लेकिन अगली बार कृति को फिल्म प्रोड्यूस करने से पहले सबसे ज्यादा ध्यान कहानी पर देना होगा क्योंकि आज के दौर में कंटेट ही किंग है. कुल मिलाकर ये फिल्म बड़ी मुश्किल से आपका टाइमपास करेगी."
Do Patti Movie Review By Narendra Saini(NDTV)
"काजोल, कृति सेनन और शाहीर शेख की दो पत्ती की कहानी दो जुड़वां बहनों की है. एक बहन को एक लड़के से प्यार होता है. लेकिन कुछ ऐसा होता है कि दोनों की जिंदगी ताश के पत्तों की तरह बिखर जाती है. जब दोनों बहने इस जटिल गुत्थी को सुलझाने की कोशिश करती हैं, तो बहुत ड्रामा होता है. लेकिन कहानी देखी हुई सी लगती है. डायरेक्शन बेहद कमजोर है. काजोल का जो कैरेक्टर है, वह कई अंग्रेजी फिल्मों और वेब सीरीज से प्रेरित लगता है. इस तरह कहानी और डायरेक्शन दोनों ही बेहत औसत रहते हैं. शशांका चतुर्वेदी ने पुराने और रटे-रटाए फॉर्मूले को आजमाने की कोशिश की."
Do Patti Movie Review By Pratik Shekhar(News 18)
"डायरेक्शन की बात करें तो शशांक चतुर्वेदी की कई कमियां नजर आती हैं. वे चाहते तो पहले पार्ट को और मजेदार बना सकते थे, क्योंकि पहले पार्ट में फिल्म अपनी रफ्तार में काफी धीमी नजर आती है, लेकिन दूसरे पार्ट तक आते-आते यह अपनी रफ्तार पकड़ लेती है. साथ ही फिल्म में कुछ सीन जबरदस्ती ठूंसे गए हैं, जो फिल्म को थोड़ा बोरिंग बनाते हैं. अगर आप टाइम पास करना चाहते हैं तो आप इसे एक बार देख सकते हैं."
Do Patti Movie Review By Renuka Vyavahare(Times Of India)
"दो पत्ती भ्रामक है। आदर्श परिदृश्य में, यह एक थ्रिलर के रूप में अद्भुत काम कर सकती थी, लेकिन यहां ऐसा नहीं है। दो पत्ती एक फिल्म के रूप में भ्रामक है, एक रहस्य के रूप में नहीं। किसी अजीब कारण से, आप अपनी उम्मीदें उस बड़े मोड़ पर लगाते हैं जो स्थिति को सुधार सकता है लेकिन वह इच्छा अधूरी रह जाती है क्योंकि यह पूर्वानुमेय और कमज़ोर है। घरेलू हिंसा, बचपन का सदमा, गुस्से के मुद्दे, चुप्पी की संस्कृति... दो पत्ती महत्वपूर्ण विषयों को छूती है लेकिन उसमें संवेदनशीलता या गहराई का अभाव है जो खामियों को आकर्षक बना सके।"