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Bandaa Singh Chaudhary Experts Review |
Bandaa Singh Chaudhary Review By Komal Nahata(Filminformation)
"अभिषेक सक्सेना का निर्देशन साधारण है। राहुल जैन और आनंद भास्कर का संगीत औसत है। गीत (कुणाल वर्मा, शाहीन इकबाल और जैक्स 53) औसत दर्जे के हैं। शबीना खान और सौरभ प्रजापति की कोरियोग्राफी ठीक-ठाक है। बैकग्राउंड म्यूजिक (रूशिन दलाल और कैजाद घेरदा द्वारा) औसत है। सिमरजीत सुमन का कैमरावर्क आकर्षक है। हरपाल सिंह पाली के एक्शन और स्टंट सीन ठीक-ठाक हैं। प्रोडक्शन डिजाइनिंग (तारिक उमर खान और नादिरी खान द्वारा) ठीक-ठाक है। संजय सांकला का संपादन और बेहतर होना चाहिए था। कुल मिलाकर, बंदा सिंह चौधरी का बॉक्स ऑफिस पर बुरा हाल होगा।"
Bandaa Singh Chaudhary Review By Titas Chowdhury(News 18)
"कुछ लोगों को यह बहुत सरल लग सकता है, लेकिन फिल्म निर्माता बेबाकी से इसी लहजे में फिल्म बनाते हैं। वे कोई बड़े-बड़े वादे नहीं करते, लेकिन फिल्म आपके चेहरे पर मुस्कान ला देती है। और जो लोग अरशद को बड़े पर्दे पर देखने से चूक गए हैं, उनके लिए यह मौका है!"
Bandaa Singh Chaudhary Review By Pankaj Shukla(Amar Ujala)
"सोलो हीरो वाली फिल्में करने की कोशिशें अरशद ‘सहर’के दौर से करते आ रहे हैं। ‘सहर’ एक कमाल फिल्म थी। चली नहीं चली वो अलग बात है। ‘बंदा सिंह चौधरी’ तो बिल्कुल नहीं चलने वाली, और फिल्म भी ये बहुत बोरिंग है।"
Bandaa Singh Chaudhary Review By Shipra Saxena(Zee News)
"इस फिल्म की कहानी 80 के दशक की है. लिहाजा फिल्म में इस दशक को ठीक तरह से स्क्रीन पर प्रजेंट किया है. टेक्नीकली ये फिल्म काफी ठीक है. कैमरा, म्यूजिक, बैकग्राउंड स्कोर सभी कुछ ठीक है. अब बात आती है कि फिल्म देखें या नहीं. ये एक साफ सुथरी फिल्म है जिसे आप परिवार के साथ आराम से बैठकर देख सकते हैं. साथ ही इसमें इतिहास के उन पन्नों पर रोशनी डाली गई है. इसके साथ ही बंदा सिंह का हौसला आपको एक सीख भी देता है कि जिंदगी में कुछ भी हो जाए हार नहीं माननी चाहिए. ऐसे में इस फिल्म को एक बार तो देखना बनता है."
Bandaa Singh Chaudhary Review By Rekha Khan(NBT)
"निर्देशक अभिषेक सक्सेना पंजाब के ऐसे गुमनाम नायकों की कहानी लेकर आए हैं, जिन्होंने अपने पिंड और इसके लोगों की हिफाजत के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी। कहानी सुनने में जितनी हौसले से भरी लगती है, पर्दे पर उसका एग्जिक्यूशन उतना ही कमजोर है। फिल्म बहुत धीमी है, जिसमें जोश और रोमांच की कमी साफ खलती है। धार्मिक उन्माद और आतंकवाद जैसे विषय को निर्देशक एक व्यापक परिप्रेक्ष्य में नहीं दर्शा पाए हैं। प्रेरणादायक कहानियों के शौकीन और अरशद वारसी के फैन यह फिल्म देख सकते हैं।"
Bandaa Singh Chaudhary Review By Sana Farzeen(India Today)
"अगले हफ़्ते सिंघम अगेन और भूल भुलैया 3 की दो बड़ी रिलीज़ के साथ, बंदा सिंह चौधरी के सिनेमाघरों में आने की संभावना कम ही है। अगर आप पहले से ही त्यौहारों की तैयारियों में व्यस्त हैं, तो आप इसे मिस कर सकते हैं। अन्यथा, अगर आप मम्मी के घर की सफ़ाई के ऑर्डर को छोड़ना चाहते हैं, तो आप टिकट बुक कर सकते हैं।"
Bandaa Singh Chaudhary Review By Madhav Sharma(Times Now)
"एक ओर जहां ये फिल्म इतिहास की घटनाओं पर रोशनी डालती है तो दूसरी ओर ये पूरी साफ सुथरी है, जिसे आप परिवार और दोस्तों के साथ देख सकते हैं। वहीं इसे आपको बच्चों को भी दिखाना चाहिए, ताकि एंटरटेनमेंट के साथ ही वो जानकारी भी जुटाएं। फिल्म को बेहतरीन एक्टिंग परफॉर्मेंस के लिए भी देखा जा सकता है।"
Bandaa Singh Chaudhary Review By Amit Bhatia(ABP News)
"अभिषेक सक्सेना का डायरेक्शन काफी खराब है. उन्हें ऐसी हस्ती पर फिल्म बनाने से पहले और रिसर्च करनी चाहिए. इस फिल्म में और इमोशन डालना चाहिए था. जब बंदा उग्रवादियों से लड़ता है तो वो सीन बचकाने लगते हैं. गली में लड़के भी इससे ज्यादा जबरदस्त तरीके से लड़ते हैं, एक अच्छे सब्जेक्ट और अच्छे एक्टर्स को अभिषेक ने वेस्ट कर दिया. कुल मिलाकर बंदा सिंह चौधऱी की कहानी जाननी है तो इंटरनेट पर पढ़ लीजिए या इस फिल्म के ओटीटी पर आने का इंतजार कर लीजिए बाकी फैसला आपका है."
Bandaa Singh Chaudhary Review By Dhaval Roy(Times Of India)
"सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य की गहन खोज और कसी हुई कथा के साथ, बंदा सिंह चौधरी एक बेहतरीन फिल्म हो सकती थी। इसके बजाय, यह अपनी क्षमता तक नहीं पहुँच पाती है और बहुत कुछ वांछित छोड़ देती है।"