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Kakuda Movie Review Hindi: 'काकुड़ा' फिल्म की कहानी कमजोर, टाइमपास के लिए देखी जा सकती है |
Movie Name | Yudhra |
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Release Date | 12 July 2024 |
Run Time | 01 Hours 56 Min (116 minutes) |
Cast | Riteish Deshmukh, Sonakshi Sinha, Saqib Saleem |
Director | Aditya Sarpotdar |
Producer | Ronnie Screwvala |
Production Companies | RSVP Movies |
Our Rating | 2.5/5 |
Kakuda Movie Review Hindi
Kakuda Movie Review By Komal Nahata(Filminformation)
"आदित्य सरपोतदार का निर्देशन अच्छा है, लेकिन साधारण स्क्रिप्ट ने उन्हें निराश किया है। गुलराज सिंह का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर औसत है। न तो गाने हिट हैं और न ही बैकग्राउंड म्यूजिक बहुत प्रभावी है। मनोज यादव के बोल ठीक-ठाक हैं। राजू वर्गीस की कोरियोग्राफी शायद ही विशेष उल्लेख की हकदार हो। लॉरेंस एलेक्स डी'कुन्हा की सिनेमैटोग्राफी काफी अच्छी है। मनोहर वर्मा के एक्शन और स्टंट सीन बहुत रोमांच नहीं देते। स्निग्धा करमाहे और पंकज शिवदास पोल की प्रोडक्शन डिजाइनिंग साधारण है। फैजल महादिक का संपादन और बेहतर होना चाहिए था। कुल मिलाकर, काकुडा इतना नियमित है कि वह दर्शकों पर ज्यादा प्रभाव नहीं डाल पाता।"
Kakuda Movie Review By Pankaj Shukla(Amar Ujala)
"तीन साल से रिलीज की राह तक रही फिल्म ‘काकूदा’ इसके साथ ही नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म ‘वाइल्ड वाइल्ड पंजाब’ से फिर भी बेहतर है। ‘शुक्रगुजार’ जैसा ठेठ भर्ती का गाना न आया होता तो मैं भी ये फिल्म एक बार में पूरी देख सकता था, लेकिन फिल्म में रितेश की एंट्री के बाद से क्लाइमेक्स तक माहौल बना रहता है। बीच बीच में हालांकि काकूदा की कहानी कहने का जो तरीका है, वह थोड़ा फीचर फिल्म के हिसाब से उबाऊ है, लेकिन डरने का शौक ऐसा है कि दर्शक आखिर तक इसी उम्मीद में टिका रहता है कि शायद अब कुछ चौंकाने वाला हो जाए। लेकिन, लॉरेंस डि कुन्हा की सिनेमैटोग्राफी और गुलराज सिंह का म्यूजिक ऐसा कुछ करने में कामयाब हो नहीं पाया।"
Kakuda Movie Review By Pratik Shekhar(News 18)
"बात डायरेक्शन की करें तो आदित्य एक बार फिर एक शानदार फिल्म लेकर आए हैं. फिल्म के कुछ सीन्स को इतने अच्छे दिखाया गया है कि आप अपनी हंसी भी नहीं रोक पाएंगे, और डर से भी हालत खराब रहेगी. कुल मिलाकर देखा जाए तो यह एक शानदार फिल्म है, जिसे आप Zee5 पर 12 जुलाई से पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं. मेरी ओर से ‘ककुदा’ को 3 स्टार."
Kakuda Movie Review By Shreyanka Mazumdar(News 18)
"खामियों के बावजूद, यह फिल्म एक मनोरंजक फिल्म है जो व्यापक भय की भावना पैदा करने के लिए लोककथाओं का प्रभावी ढंग से उपयोग करती है। यह अंधविश्वास, डर और लोगों द्वारा अपने प्रियजनों की रक्षा के लिए की जाने वाली हदों की एक दिलचस्प खोज है। एक बार देखने लायक!"
Kakuda Movie Review By Prashant Jain(NBT)
"पिछले महीने सिनेमाघरों रिलीज हुई सरप्राइज हिट फिल्म 'मुंज्या' के डायरेक्टर आदित्य सरपोतदार ने फिल्म बनाने के लिए हॉरर-कॉमेडी का मजेदार विषय चुना। फिल्म शुरुआत में 'स्त्री' की मजेदार राह पर चलने की उम्मीद भी जगाती है। इसमें कई ऐसी चीजें हैं, जो आपको 'स्त्री' की याद भी दिलाती हैं, लेकिन अफसोस कि बहुत जल्द फिल्म की कहानी और स्क्रीनप्ले पटरी से उतर जाती है। यदि आप हॉरर कॉमेडी फिल्मों के शौकीन हैं, तो इस फिल्म से बहुत ज्यादा मनोरंजन की उम्मीद ना रखें, पर हां इसे एक बार जरूर देख सकते हैं।"
Kakuda Movie Review By Sana Farzeen(India Today)
"'मुंज्या' की सफ़लता से अभी-अभी लौटे निर्देशक आदित्य सरपोतदार ने 'काकुड़ा' के साथ भी काफ़ी अच्छा काम किया है। ऐसा लगता है कि वह शैली और लोक कथाओं को समझते हैं, जिससे उनकी कहानी कहने की प्रक्रिया काफी आकर्षक बन जाती है। कहानी, पटकथा और संवाद अविनाश द्विवेदी और चिराग गर्ग द्वारा लिखे गए हैं, जो खुद दोनों अभिनेता हैं। कहानी काफ़ी बेहतरीन है, लेकिन उनकी पटकथा और भी सटीक हो सकती थी। दूसरी ओर, संवाद भी बेहतरीन हैं, जिसका श्रेय अभिनेताओं को जाता है जिन्होंने अपनी टाइमिंग के साथ दमदार अभिनय किया है।अगर बारिश आपकी योजनाओं को बिगाड़ देती है, तो आप इसे वीकेंड पर घर पर देख सकते हैं।"
Kakuda Movie Review By Amit Bhatia(Aaj Tak)
"ये फिल्म ‘स्त्री’ की तर्ज पर बनी है. शुरू में दिलचस्पी जागती है कि क्या हो रहा है, क्या राज है कि लोग मंगलवार को शाम 7.15 बजे दरवाजा खोलते हैं. फिर धीरे-धीरे फिल्म ट्रैक से हट जाती है और डराते और हंसाते हुए रुलाती भी है. हालांकि फिर ट्रैक पर आती है. ये ‘मुंज्या’ या ‘स्त्री’ नहीं बन पाती लेकिन, अपना काम कर जाती है. अगर टाइम पास करना हो तो फिल्म देखी जा सकती है."
Kakuda Movie Review By Sarvajeet Singh Chauhan(ABP News)
"फिल्म का डायरेक्शन 'मुंज्या' जैसी हिट हॉरर कॉमेडी बनाने वाले आदित्य सरपोतदर ने किया है. इस फिल्म में वो 'मुंज्या' जैसा कसाव लाने में वो असफल साबित हुए हैं. पूरी फिल्म में वो 'स्त्री' और 'भेड़िया' को कॉपी करने की कोशिश करते दिखे हैं. स्क्रिप्ट में इंप्रोवाइजेशन की जरूरत थी. कहानी भी 'स्त्री' का स्पूफ लगती है. कुल मिलाकर वो 'मुंज्या' जैसा जादू दिखाने में कामयाब नहीं रहे. उनकी बेबसी झलकती है."
Kakuda Movie Review By Sakshi Verma(India Tv)
"जब आप जानते हैं कि एक इंडियन हॉरर फिल्म पुरानी लोककथाओं पर आधारित है, तो कहानी पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है। हाल ही के कुछ सालों में 'तुम्बाड' और 'मुंज्या' जैसी फिल्मों ने भी इस मोर्चे पर काफी उम्मीदें जगाई हैं। लेकिन, काकुड़ा के साथ ऐसा नहीं है। लगभग दो घंटे की यह फिल्म कुछ समय बाद इतनी उबाऊ हो जाती है कि आश्चर्य होता है कि इसे इतना लंबा क्यों बनाया गया। अगर फिल्म का आधा घंटा कम कर दिया जाता तो शायद फिल्म देखने लायक हो सकती थी। न तो वीएफएक्स और स्पेशल इफेक्ट्स की मदद से बनाया गया भूत आपको डरा सकता है और न ही बैकग्राउंड में बजता डरावना म्यूजिक प्रभावशाली है। ये फिल्म बच्चों को पसंद आ सकती है क्योंकि इसमें उन्हें हंसाने के लिए चीजें हैं। फिल्म भले ही बेहतरीन हॉरर-कॉमेडी न हो, लेकिन मजेदार और आनंददायक है। एक बार ये फिल्म देखी जा सकती है।"
Kakuda Movie Review By Kusumika Das(Times Now)
"क्या होता है जब आपके पास सभी सामग्रियाँ होती हैं लेकिन आप उन्हें ठीक से मिलाना नहीं जानते? आदित्य की ककुड़ा के साथ भी यही हुआ। इसमें सोनाक्षी की प्रेम कहानी, दोहरी भूमिकाएँ, एक काला अतीत, हास्य तत्व, भूत शिकारी के रूप में रितेश का नया अवतार और लोककथाएँ हैं, लेकिन आपको जो मिलता है वह सब कुछ है जो उत्साहित करने में विफल रहता है। ककुड़ा की स्क्रिप्ट सिनेमाई भव्यता प्रदान करने के लिए बहुत कमज़ोर है और इस प्रकार हम पर प्रभाव छोड़ने में विफल रहती है।"
Kakuda Movie Review By Ronak Kotecha(Times Of India)
"फिल्म के औसत दर्जे के लेखन के बावजूद, सोनाक्षी सिन्हा ने एक अच्छा प्रदर्शन किया है। उनका किरदार ही एकमात्र ऐसा है जो कुछ हद तक समझ में आता है। कथानक में उसकी आसन्न मृत्यु के बावजूद, साकिब सलीम के किरदार के साथ सहानुभूति रखना मुश्किल है। रितेश देशमुख को एक ऐसे भूत-प्रेत का किरदार निभाने के लिए मजबूर किया गया है, जिसके शरीर पर कई टैटू हैं और जिसकी आंखों में काजल लगा हुआ है। उनकी प्रतिभा के धनी अभिनेता को एक खराब तरीके से लिखी गई भूमिका में बरबाद कर दिया गया है। कुल मिलाकर, 'काकुडा' न तो डराने में विफल है और न ही मनोरंजन करने में। यही अपने आप में इस डरावनी-कॉमेडी को न देखने का एक अच्छा कारण है।"