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Vedaa Movie Review Hindi: संवेदनशील मुद्दे को संबोधित करती एक कमजोर क्लाइमैक्स वाली फिल्म है वेदा |
Movie Name | Vedaa |
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Released Date | 15 August 2024 |
Run Time | 2h 30m(150 sec) |
Cast | John Abraham, Sharvari Wagh, Abhishek Banerjee, Tamannaah Bhatia |
Director | Nikkhil Advani |
Producer | Monisha Advani, Madhu Bhojwani, John Abraham, Aseem Arora |
Production Companies | Zee Studios, Emmay Entertainment, JA Entertainment |
Our Rating | 2.5/5 |
Vedaa Movie Review Hindi
Vedaa Movie Review By Taran Adarsh(X)
"महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करता है, लेकिन एक बिंदु के बाद कार्रवाई को प्राथमिकता दी जाती है... ठोस पहला भाग, प्रभावशाली अंतराल ब्लॉक, कमजोर दूसरा घंटा और एक अतिरंजित समापन"
Vedaa Movie Review By Komal Nahata(Filminformation)
"कुल मिलाकर, वेदा एक अच्छी फिल्म है, लेकिन यह मास और क्लास सिनेमा का एक अजीबोगरीब संगम है। यह निश्चित रूप से सिंगल स्क्रीन सिनेमा और मास सेंटर में सफल होगी। मल्टीप्लेक्स में इसका व्यवसाय सीमित रहेगा। छुट्टियों के सप्ताहांत और आने वाले हफ्तों में नई रिलीज़ की कमी इसके व्यवसाय में मदद करेगी।"
Vedaa Movie Review By Prashanth Jain(NBT)
"फिल्म के डायरेक्टर निखिल आडवाणी ने एक बेहद संवेदनशील मुद्दे को प्रभावशाली ढंग से पर्दे पर उतारने का पूरा प्रयास किया। हालांकि कई जगह फिल्म का स्क्रीनप्ले डगमगाने के कारण वह उसमें पूरी तरह कामयाब नहीं हो पाए। हां, फिल्म की शुरुआत बहुत ही जोरदार अंदाज में होती है। वहीं, इंटरवल के बाद भी फिल्म उम्मीद जगाती है। लेकिन फिल्म का क्लाइमैक्स उतना दमदार नहीं बन पड़ा है। इन सबके बावजूद संवेदनशील विषय पर बनी फिल्म आपको खुद से जोड़ती है। फिल्म का कैमरा वर्क और बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है, वहीं म्यूजिक कुछ खास नहीं है। अगर आप स्वतंत्रता दिवस के वीकेंड पर कोई एक्शन फिल्म देखना चाहते हैं, तो वेदा आपकी पसंद हो सकती है।"
Vedaa Movie Review By Pratik Shekhar(News 18)
"फिल्म पहला हाफ आपको थोड़ा बोर कर सकता है, क्योंकि यहां स्पीड थोड़ी कम होती है, जिससे फिल्म स्लो हो जाता है, लेकिन सेकंड हाफ आते ही फिल्म वापस से रफ्तार पकड़ लेती है और फिर आपको सीट से उठने तक का मौका नहीं देती है. अमाल मलिक और मनन भारद्वाज के संगीत आपको पसंद आएंगे. फिल्म में एक्शन के साथ-साथ इमोशन को काफी जोड़ा गया है. कई दफा आप इतने भावुक हो जाते हैं कि आपकी आंखें नम होने लगती हैं. आप इस फिल्म को पूरे परिवार के साथ देख सकते हैं. यह एक फुल एंटरटेनिंग फिल्म है."
Vedaa Movie Review By Yaman(Lallantop)
"‘वेदा’ के साथ एक समस्या भी है. फिल्म अपना हीरो सही से चुन नहीं पाती. ये वेदा का ही संघर्ष है मगर कई मौकों पर जॉन अब्राहम की फैन सर्विस की गई है. जैसे एक जगह अभिमन्यु एक पार्टी में जाकर प्रधान के भाई और उसके दोस्तों को पीटकर आ जाता है. इस सीन से कहानी में कुछ खास नहीं जुड़ता. बस दर्शकों को जॉन के बाइसेप्स के भरपूर दर्शन होते हैं. ये हीरो फिक्स ना कर पाने का सअबसे ज़्यादा नुकसान क्लाइमैक्स में होता है. उसी के चलते फिल्म का क्लाइमैक्स अपने मैसेज से आपको हिट नहीं कर पाता."
Vedaa Movie Review By Pallavi(Aaj Tak)
"फिल्म का फर्स्ट हाफ अच्छा है. उछलती-कूदती, लोगों को घूरती वेदा के जीवन में आप एंट्री लेते हैं. लेकिन ये कहानी बहुत जल्दी बहुत रियल और डार्क भी हो जाती है. सेकेंड हाफ में भी कहानी को बराबर कसा हुआ रखने की कोशिश की गई है. हालांकि इसका क्लाइमैक्स थोड़ा बिखरा हुआ है. मेजर अभिमन्यु, वेदा और प्रधान जितेंद्र प्रताप सिंह के बीच चलने वाली खूनी जंग जरूर आपको अपने साथ जोड़े रखती है. सभी ने अपने किरदारों में अलग लेयर जोड़ी है. फिल्म का म्यूजिक भी अच्छा है. इसे आप एक चांस जरूर दे सकते हैं."
Vedaa Movie Review By Amit Bhatia(ABP News)
"यह फिल्म शरवरी की फिल्म है. वही सेंट्रल कैरेक्टर में हैं. फिल्म की शुरुआत अच्छी होती है. जात पात के लेकर भेदभाव के कुछ ऐसे सीन आते हैं जो आपको चौंकाते हैं. आपको लगता है कि सिर्फ एक एक्शन फिल्म नहीं है. इसमें और भी कुछ है, फर्स्ट हाफ काफी अच्छा लगता है, उम्मीद जगाता है, लेकिन फिर सेकेेंड हाफ में वही होता है जो हम कई हजार फिल्मों में देख चुके हैं. ऊंची जाति के लोगों से जॉन बस शरवरी को बचाते हैं, बचाते हैं और बचाते हैं, और थिएटर में बैठे हम पछताते हैं, पछताते हैं और पछताते हैं. फिल्म में एक्शन का डोज थोड़ा कम करके इमोशन और बढ़ाया जाता है. कहानी पर थोड़ा और फोकस किया जाता तो ये और बेहतर फिल्म बन सकती थी. कुल मिलाकर ये फिल्म देखी जा सकती है. शरवरी और इस फिल्म के सब्जेक्ट के लिए इस फिल्म को एक्स्ट्रा नंबर मिलने चाहिए."
Vedaa Movie Review By Virendra Mishra(Dainik Bhaskar)
"ऊंच-नीच, जात-पात पर सालों से कई फिल्में बन चुकी हैं। कहानी के नाम पर इस फिल्म में कुछ खास नयापन नहीं है। फिल्म की पथकथा कमजोर है। फिल्म का फर्स्ट हाफ थोड़ा सा बेहतर है, लेकिन सेकेंड हाफ बेहद कमजोर है। जरूरत से ज्यादा एक्शन सीन कहानी को कमजोर करते हैं। एक्शन सीन के बजाय इमोशन सीन पर थोड़ा सा और ध्यान देने की जरूरत थी। फिल्म के क्लाइमेक्स को जिस तरह से राजस्थान हाई कोर्ट में फिल्माया गया है, वह जस्टिफाई नहीं करता है। इस विषय पर अब तक सैकड़ों फिल्में बन चुकी हैं। एक नीची जात के लड़के को ऊंची जात की लड़की से प्यार हो जाता है और फिर शुरू होता है एक खूनी खेल। फिर भी अगर आप फिल्म देखने का मन बना रहे हैं तो आपकी मर्जी।"
Vedaa Movie Review By Manoj Vashisth(Jagran)
"फिल्म की शुरुआत में कहानी तेजी से आगे बढ़ती है। शीर्षक भले ही वेदा के नाम पर है, लेकिन फिल्म का असल दारोमदार जॉन अब्राहम के कंधों पर है। उनके हिस्से में संवाद कम एक्शन भरपूर हैं। कोर्ट मार्शल के बाद अभिमन्यु अपने ससुर के पास आता है, लेकिन उसकी वजह स्पष्ट नहीं है। अंत में वेदा कहती है कि पापा आपने ही कानून सिखाया है, यह चौंकाता है। जानकारी के बावजूद उन्होंने कभी गांव से निकलने का प्रयास क्यों नहीं किया? यह समझ से परे है। क्लाइमैक्स को बेहतर करने की संभावनाएं थी, अगर उस पर थोड़ा रिसर्च किया जाता। तमन्ना भाटिया मेहमान भूमिका में हैं। वेदा के पिता की भूमिका में राजेंद्र चावला का काम उल्लेखनीय है। फिल्म का मौनी राय पर फिल्माया गया आइटम सांग मम्मी जी थिरकाने वाला है। सिनेमेटोग्राफर मलय प्रकाश ने राजस्थानी माहौल और परिवेश को समुचित तरीके से कैमरे में कैप्चर किया है। फिल्म का मुद्दा संवेदनशील है, लेकिन क्रूर एक्शन, मारधाड़ के बीच संवदेनाएं कहीं छूट जाती हैं।"
Vedaa Movie Review By Sreeparna Sengupta(Times Of India)
"फिल्म की बनावट और तनाव को अच्छी तरह से उकेरा गया है और साथ ही कुछ उत्तेजक दृश्य भी हैं। और 'ज़रूरत से ज़्यादा' जैसे गाने मूड के हिसाब से अच्छे से घुलमिल जाते हैं। लेकिन फिल्म में कुछ बातें सच नहीं लगतीं - खास तौर पर लंबा और उलझा हुआ क्लाइमेक्स, कुछ अजीबोगरीब तरीके से डाले गए गाने और कुछ सीन ऐसे लगते हैं जैसे कि उन्हें मंच पर दिखाया गया हो। कई हिस्से पूर्वानुमानित हैं, और फ़ॉर्मूलाबद्ध तरीके से चलते हैं, लेकिन हार्डकोर एक्शन सीक्वेंस, खास तौर पर दूसरे हिस्से में, एड्रेनालाईन रश को बनाए रखते हैं। निखिल आडवाणी ने एक संदेश और सीटी बजाने लायक एक्शन के साथ एक शानदार, मसाला फिल्म पेश की है।"
Vedaa Movie Review By Sana Farzeen(India Today)
"भारत में जाति व्यवस्था के विषय को उठाना कोई छोटी बात नहीं है और इसे आजमाने के लिए निर्माताओं को पूरे अंक दिए जाने चाहिए। हालांकि, शारवरी के एक्शन दृश्यों की तरह ही, उनके मोनोलॉग भी बहुत देर से आते हैं। हालांकि, इनमें से कोई भी क्षण प्रभावशाली नहीं है या आपको सिहरन पैदा नहीं करता है, जो पटकथा में एक महत्वपूर्ण दोष के रूप में उभरता है। बैकग्राउंड म्यूजिक स्क्रीनप्ले से बेहतर काम करता है, जो फिल्म में भावनाओं को जगाता है। हालांकि, "ज़रूरत से ज़्यादा" को छोड़कर कोई भी गाना स्थायी प्रभाव नहीं छोड़ता। वे कथानक के साथ न्याय नहीं करते और काफ़ी ज़बरदस्ती थोपे हुए लगते हैं, ख़ास तौर पर होली का गाना। एक मिनट पहले, दलित महिला बॉक्सिंग मैच में भाग लेने के लिए समाज से लड़ रही है, और अगले ही पल, वह भीड़ भरे कॉलेज कैंपस में होली के गाने पर नाच रही है। अस्पृश्यता का पहलू इतनी आसानी से कैसे भुला दिया गया? वेद में कोई आश्चर्य या झटका देने वाला तत्व नहीं है, और खलनायक काफी साधारण लगता है। दूसरी ओर, क्षितिज चौहान अपने मासूम चेहरे के साथ शुरू से ही बुराई का बखूबी अनुकरण करते हैं।"
Vedaa Movie Review By Puneet Upadhyay(Tv9 Bharatvarsh)
"फिल्म की कहानी तो जरूरी है और इसपर कई सारी और भी इंटेंस फिल्में बनी हैं. जातिवाद पर बनी नाना पाटेकर की फिल्म दीक्षा याद आती है. उसके अंत के एक मिनट के सीन को आज भी हिस्टोरिक माना जाता है. आयुष्मान खुराना की आर्टिकल 15 भी लोगों की आंखें खोलती है. इस फिल्म के भी कुछ सीन्स आपके जेहन में रह जाते हैं. लेकिन अगर ओवरऑल फिल्म की बात करें तो फिल्म का फर्स्ट हॉफ ज्यादा अपीलिंग है लेकिन क्लैमेक्स के बाद ये फिल्म अपना रिदम खोती नजर आती है. इसके क्लाइमैक्स को और बेहतर किया जा सकता था. अब जॉन की फिल्म है तो एक्शन होगा ही. कहानी है तो इमोशन भी. लेकिन हर फिल्म का एक फ्लो होता है. इसकी स्क्रिप्टिंग के फ्लो में गड़बड़ी रह गई."