Auron Mein Kahan Dum Tha Review Hindi: खराब कहानी के चलते 'औरों में कहां दम था' फिल्म में नहीं है कोई दम

Auron Mein Kahan Dum Tha Review Hindi: खराब कहानी के चलते 'औरों में कहां दम था' फिल्म में नहीं है कोई दम

Auron Mein Kahan Dum Tha Review Hindi: नीरज पांडे के डायरेक्शन में बनी 'औरों में कहां दम था' फिल्म 02 अगस्त 2024 को सिनेमाघरों में रिलीज हुई थी जिसमें अजय देवगन, तब्बू, जिम्मी शेरगिल, शांतनु माहेश्वरी और साई मांजरेकर मुख्य भूमिका में हैं। आज हम इस फिल्म के रिव्यू पर चर्चा करने वाले हैं और साथ ही बात करने वाले हैं की बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स की इस फिल्म को लेकर क्या राय है।


Movie Name Auron Mein Kahan Dum Tha
Release Date 02 Aug 2024
Run Time 2 Hours 24 Minutes (144 minutes)
Cast Ajay Devgn, Tabu, Jimmy Sheirgill, Shantanu Maheshwari, Saiee Manjrekar
Director Neeraj Pandey
Producer Shital Bhatia, Narendra Hirawat, Kumar Mangat Pathak, Sangeeta Ahir
Production Companies Friday Filmworks, NH Studioz, Panorama Studios


Auron Mein Kahan Dum Tha Story

फिल्म 'औरों में कहां दम था' की कहानी कृष्णा की है जो दो मर्डर के केस में जेल में बंद है उसे इसके लिए 25 साल की सजा हुई है। उसकी पत्नी वसुधा है जिसका एक प्रेमी भी है और वह उसे कृष्णा से मिलना चाहती है। फिल्म के कहानी दो कालखंडो में चलती है उन दोनों की प्रेम कहानी की शुरुआत मुंबई की चॉल से होती है जहां वह दोनों पड़ोसी रहते हैं। उसके बाद क्योंकि कृष्णा कंप्यूटर हार्डवेयर का अच्छा जानकार है तो इसलिए उसे कंपनी की ओर से जर्मनी जाने का ऑफर मिलता है लेकिन इस बीच उसका कुछ बदमाशों के साथ पंगा हो जाता है क्योंकि वह वसुधा को छेड़ते हैं। कृष्णा इस लड़ाई में दो लोगों को मौत के घाट उतार देता है जिसकी वजह से उसे सजा हो जाती है। वह जब सजा कटकर जेल से बाहर आता है तो उसे पता चलता है कि वसुधा अपने प्रेमी अभिजीत से शादी कर चुकी है लेकिन वह आज भी अंदर ही अंदर कृष्णा को चाहती है। आगे उनकी प्रेम कहानी का क्या होगा? यह जानने के लिए आपको सिनेमाघर तक जाना होगा।


Auron Mein Kahan Dum Tha Review Hindi

नीरज पांडे के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'औरों में कहां दम था' की कहानी बहुत स्लो है फिल्म का क्लाइमैक्स पूर्वानुमानित नजर आता है। फिल्म का स्क्रीनप्ले एकदम घिसा पिटा है और फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी इसका संगीत है। सभी कलाकारों ने अपना किरदार बखूबी ढंग से निभाया है पर खराब स्टोरी के चलते सब फीका लगता है। कुल मिलाकर 'औरों में कहां दम था' फिल्म में कोई दम नजर नहीं आता।
Our Rating - 2/5


Auron Mein Kahan Dum Tha Review By Taran Adarsh(X)

Rating - 1.5/5
Review - 

"एक शब्द में रिव्यू, औरों में कहां दम था: पुराना। इस तिकड़ी [अजय देवगन, तब्बू, नीरज पांडे] से और भी बहुत कुछ की उम्मीद थी, लेकिन AMKDT नीरस और नीरस है, एक बिंदु के बाद थकाऊ हो जाती है। एक सरल कथानक जो धीमी गति, बातचीत-भारी और अत्यधिक खींचा हुआ है। यहां तक कि अंतिम मोड़ भी विफल हो जाता है।"

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Auron Mein Kahan Dum Tha Review By Komal Nahata(Filminformation)

Rating - -
Review - 

"कुल मिलाकर, 'औरों में कहाँ दम था' एक उत्कृष्ट रूप से बनाई गई फिल्म है जो शानदार प्रदर्शन, शानदार संवाद और उत्कृष्ट पृष्ठभूमि संगीत का दावा करती है लेकिन बॉक्स-ऑफिस पर इसका प्रदर्शन इसकी खूबियों के अनुरूप नहीं है क्योंकि यह धीमी है, और इसने निराशाजनक शुरुआत की है। वर्ग दर्शकों के संरक्षण के बल पर संग्रह में बढ़ोतरी होगी लेकिन जनता फिल्म को पहले ही नकार देगी।"

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Auron Mein Kahan Dum Tha Review By Pankaj Shukla(Amar Ujala)

Rating - 2/5
Review - 

"फिल्म ‘औरों में कहां दम था’ की सबसे बड़ी कमजोरी है, इसका संगीत। एम. एम. कीरावणी और मनोज मुंतशिर ने मिलकर इसके लिए मेहनत बेशक काफी की है, लेकिन मनोज मुंतशिर की लिखाई का दर्द उनके बदले हालात के चलते शायद गुणा भाग में ज्यादा बदल गया है। वह अब लिखते हैं तो समझ आता है कि ये उनका स्वाभाविक प्रवाह नहीं है। अब वह दर्द लिखते नहीं बल्कि उसे लिखने के लिए शब्द तलाशते नजर आते हैं। एम एम कीरावणी की अपनी सीमाएं हैं। हिंदी की फिल्म वह उतनी ही समझ पाए होंगे जितनी उन्हें अंग्रेजी में समझाई गई होगी और भाषा बदलते ही प्रेम के भाव को प्रकट करने के जो भाव बदलते हैं, उसी की उलझ का शिकार हो गई है फिल्म ‘औरों में कहां दम था’। आखिर के आधे घंटे में नीरज पांडे ने एक ठीक ठाक प्रेम कहानी को एक थ्रिलर फिल्म बनाने के लिए जो तथाकथित ‘ट्विस्ट’ डालने की कोशिश की, उसने फिल्म को और उलझाया है।"

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Auron Mein Kahan Dum Tha Review By Pallavi(Aaj Tak)

Rating - 1.5/5
Review - 

"डायरेक्टर नीरज पांडे की बनाई ये फिल्म बेहद स्लो है. फिल्म की शुरुआत काफी धीमी होती है. अजय देवगन के किरदार कृष्णा को आप जेल में देखते हैं और उनके बैकग्राउंड में 'किसी रोज' गाना चल रहा है, जो उस सीन के हिसाब से अटपटा लगता है. इसके बाद यंग कृष्णा और वसुधा की कहानी आती है. फिर बड़े हो चुके कृष्णा और वसुधा मिलते हैं. वसुधा की अब शादी हो चुकी है. वो उन सब सपनों को सच कर चुकी है, जो उसने कृष्णा के साथ रिश्ते में रहते हुए देखे थे. फर्स्ट हाफ खत्म होते-होते आप दुआ करने लगते हैं कि 'भगवान सेकेंड हाफ को थोड़ा तेज बना दो'. लेकिन आपकी दुआओं का कोई असर नहीं होता और पूरे सेकेंड हाफ में आपके सब्र का इम्तिहान लिया जाता है. इसके अंत में एक ट्विस्ट है, जो आप फिल्म के शुरू होने पर आता हुआ देख लेते हो. मूवी का स्क्रीनप्ले एकदम घिसा पिटा है. ऐसी कहानियां हम सब फिल्मों में देखने के साथ-साथ किताबों में पढ़ भी चुके हैं. ये फिल्म अगर बेइंतहा स्लो नहीं होती, तो फर्स्ट हाफ में ही पूरी कहानी निपट सकती थी. इसके बीच भी शांतनु माहेश्वरी ने अपना कृष्णा का किरदार काफी अच्छे से निभाया है. सई मांजरेकर ने उनका ठीकठाक साथ दिया. हालांकि उनके चेहरे पर एक्सप्रेशन की कमी जरूर खलती है. अजय देवगन और तब्बू की जोड़ी को दोबारा साथ देखना अच्छा था, लेकिन उन्होंने भी बहुत कुछ धमाकेदार इस फिल्म में नहीं किया है. स्लो मूवी में भी आप उनकी अच्छी केमिस्ट्री को देख सकते हैं. जिमी शेरगिल के किरदार को एकदम वेस्ट कर दिया गया है. फिल्म का क्लाइमैक्स चारों सितारों के बढ़िया काम से ही अच्छा बना है."

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Auron Mein Kahan Dum Tha Review By Amit Bhatia(ABP News)

Rating - -
Review - 

"ये फिल्म शुरुआत से काफी स्लो है, सस्पेंस बनाने की कोशिश की जाती है और कुछ हद तक सस्पेंस बनता भी है. लगता है अब क्या होगा, अब तो कुछ होगा, एंड में क्या ट्विस्ट आएगा लेकिन फिर जो होता है उसे सीधी भाषा में दर्शकों के साथ धोखा कहते हैं. नीरज पांडे से आप काफी बेहतर की उम्मीद करते हैं और यहां उम्मीदें बुरी तरह से टूट जाती हैं. कुछ ऐसा नहीं होता जो आपको चौंका दे, हिला दे. ये बड़ी 90s टाइप की फिल्म लगती है, अजय और तब्बू इससे बहुत बेहतर काम कर चुके हैं."

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Auron Mein Kahan Dum Tha Review By Aashish Tiwari(Dainik Bhaskar)

Rating - 3/5
Review - 

"थ्रिलर फिल्में बनाने के लिए मशहूर नीरज पांडे ने पहली बार किसी रोमांटिक ड्रामा फिल्म पर काम किया हैै। उन्होंने एक्टर्स से उनका बेस्ट निकलवाया है, जो कि फिल्म का सबसे मजबूत पक्ष है। फिल्म को शुरुआत से लेकर अंत तक पोएटिक अंदाज में पेश करने की कोशिश की गई है। हां, कहानी के बीच-बीच में थोड़ा संस्पेंस भी रखा है। नीरज की स्टोरी टेलिंग खूबसूरत है, लेकिन साथ में थोड़ी खिंची हुई भी लगती है। फिल्म को बेवजह लंबा बना दिया है। इस फिल्म को आराम से 2 घंटे में खत्म किया जा सकता था। शायद यही वो वजह हो सकती है कि दर्शक एक वक्त पर बोर महसूस करें।"

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Auron Mein Kahan Dum Tha Review By Manoj Vashisth(Jagran)

Rating - 2/5
Review - 

"नीरज जासूसी या थ्रिलर कंटेंट बनाने के महारथी हैं। पहली बार उन्‍होंने लव स्‍टोरी बनाई है। हालांकि, लव स्‍टोरी की पिच पर वह पूरी तरह मिसिंग नजर आते हैं। मुंबई की चॉल की कहानी होने के बावजूद पात्र और परिवेश सीमित दायरे में बंधे दिखते हैं, जबकि चॉल वाली कई फिल्‍मों में वहां के माहौल को बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है। बहरहाल, नीरज को फिल्‍म के लिए बेहतरीन कलाकारों का साथ मिला है। युवा कृष्‍णा की भूमिका में शांतनु पूरी तरह अजय का प्रतिरूप नहीं दिखते। 22 साल के अंतराल में अजय में काफी ठहराव दिखता है, लेकिन युवावस्‍था के पात्र में वह कहीं नहीं झलकता।"

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Auron Mein Kahan Dum Tha Review By Dhaval Roy(Times Of India)

Rating - 3/5
Review - 

"औरों में कहाँ दम था एक परिपक्व प्रेम कहानी का प्रयास है जो निष्पादन में लड़खड़ाती है, इसकी धीमी गति और पूर्वानुमानित कथानक इसके प्रभाव को बाधित करते हैं। यदि आप सोची-समझी गति और भावनात्मक रूप से आवेशित कथाओं की सराहना करते हैं तो इसे देखिए।"

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Auron Mein Kahan Dum Tha Review By Arushi Jain(India Today)

Rating - 1.5/5
Review - 

"लेखक-निर्देशक नीरज पांडे, जिन्होंने लगातार जासूसों और सरकारी एजेंटों को समर्पित कथाएँ बनाई हैं, जो आतंकवादी साजिशों को विफल करने के लिए समय के खिलाफ दौड़ते हैं (ए वेडनसडे!, बेबी और स्पेशल ऑप्स), रोमांटिक शैली के दर्शकों को एक 'अच्छे', सूक्ष्म रोमांटिक ड्रामा की लालसा को पूरा करने का प्रयास करते हैं। दुख की बात है कि वे औरों में कहाँ दम था (AMKDT) में असफल रहे। और, विस्तार से, वे अजय देवगन और तब्बू की स्क्रीन उपस्थिति को कम कर देते हैं, जो लंबे समय से कई खराब फिल्मों में सुधार करने वाले कारक रहे हैं।"

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Auron Mein Kahan Dum Tha Review By Sonali Naik(Tv9 Bharatvarsh)

Rating - 2.5/5
Review - 

"कलाकारों की शानदार एक्टिंग के अलावा ‘औरों में कहां दम था’ में बिलकुल दम नहीं है. इस तरह की फिल्में देखना अब ऑडियंस ने छोड़ दिया है, मेकर्स बस 30 साल लेट हुए है. 30 साल पहले ये फिल्म बनती, तो लोग ये फिल्म बिलकुल देखते, शायद हिट भी हो जाती, लेकिन अब स्वाइप राइट और स्वाइप लेफ्ट के जमाने में कोई इस कहानी से रिलेट ही नहीं कर पाएगा. 144 मिनट बोर होने से अच्छा आप ये फिल्म स्किप कर दें."

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Auron Mein Kahan Dum Tha Trailer



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