Anupama 4th August 2024 Written Update Hindi: वनराज ने दी अनुपमा को नाम बदलने की नसीहत

Anupama 4th August 2024 Written Update Hindi
Anupama 4th August 2024 Written Update Hindi: वनराज ने दी अनुपमा को नाम बदलने की नसीहत

Anupama 4th August 2024 Written Update Hindi: अनुपमा के आज के एपिसोड में दिखाया जाता है कि अनुज कहता है, यहां जितने आप खड़े हैं उनसे पूछो मुझे बताओ कि तुम में से किसी की औलाद तुमसे यह कहे की वह आखिरी अलविदा है तो तुम पर क्या बीतेगी? मुझ पर भी वही बीती, में मर गया अनु में जीते जी मर गया, सिर्फ सांस ले रहा हूं, मेरी बेटी मेरी आध्या मुझसे बिछड़ गई किस लिए अनु क्योंकि में तुम्हें लेने आ रहा था, में तुम्हारे साथ रहना चाहता था लेकिन वह तुम्हारे साथ रहना नही चाहती थी मैंने उस प्यार को चुना जो मेरे साथ नहीं था और उस बेटी को छोड़ दिया जो साथ थी। तुम तो जानती थी ना की आध्या तुमसे नफरत करती है, और फिर तुमने मंदिर में मुझसे वादा लिया था की में तुमसे कभी ना मिलूं तुमने मुझे कसम दिलवाई थी, इसलिए हम पांच साल दूर रहे तुम कहती थी कि हमारी खुशी के लिए हमसे दूर हो। आगे वह कहता है कि मैं तो प्यार में पागल हो गया था पर तुम तो दुनिया को समझा सकती थी ना, तो तुम मुझे समझा सकती थी ना, मुझे बता सकती थी ना की गलत है हम दूर रहते हैं लेकिन नही, तुम भी मेरी तरह ही निकली। 

आगे वह कहता है आप जानते हैं मेरी बेटी मरी नहीं है उसका खून हुआ है और दो लोगों ने मिलकर जान ली है उसकी वह दोनों ओर कोई नहीं बल्कि हम दोनों हैं। वह आगे कहता है की इससे तो अच्छा होता कि हमने अपनी बच्चियों को गोद नही लिया होता, वह अनाथ आश्रम में जैसी भी जिंदगी जीती, जैसे भी पलती कम से कम जिंदा तो होती ना, हमने गोद लेकर आध्या को मार दिया। में पागल था सही कहा आप लोगों ने में पागल था वह हर समय मुझसे बोलती रही की में दूर रहूं तुमसे लेकिन मैंने सुनी नहीं उसकी, क्योंकि में तुमसे प्यार करता था और तुम्हें वापिस अपनी जिंदगी में लाना चाहता था। वह छोटी बच्ची बस बोलती रही मुझे लगा हम उसे मना लेंगे, जैसे हमने कहा कि हम पूरी दुनिया को मना लेंगे लेकिन क्या हुआ देखो, मर गई ना हमारी बच्ची। अनुपमा कहती है नही वह जिंदा है, अनुज कहता है मैनें उसकी बात क्यों नहीं मानी अनु तुम तो सब समझती हो सब जानती हो सबको बताती हो मुझे बताओ मैंने उसकी बात क्यों नहीं मानी, जान ले ली हमने हमारी बच्ची की बताओ क्यों किया हमने यह, उसके बाद वह दोनों रोने लगते हैं।

आगे वनराज अनुज को उठाते हुए कहता है उठो अनुज, वह उसे गले लगाते हुए कहता है की मुझे माफ करना, मुझे नही पता था कि आध्या अब नही रही, मैंने भी एक औलाद खोई है में जनता हूं कि औलाद खोने का दर्द क्या होता है। अनुपमा कहती है कुछ नहीं हुआ है हमारी आध्या को, में जानती हूं मेरी बच्ची जहां भी है ठीक है, आपको मुझ पर विश्वास नहीं है ना लेकिन इस मां पर यकीन कर लीजिए अनुज, इस मां का दिल जानता है कि आध्या जिंदा है इसी दुनिया में है हम उसे ढूंढेंगे वह बस खो गई है। अनुज पूछता है कैसे ढूंढोगी तुम? मरे हुए को कभी ढूंढा नहीं जाता है, इसे कौन बताएगा। अनुपमा कहती है आध्या आएगी वापस, अनुज कहता है नही आएगी वह हमसे बहुत दूर चली गई उसने मुझसे कहा था और उसके जाने की सबसे बड़ी वजह जानती हो क्या है? मैंने तुम्हें चुना, मेरी आध्या ने मुझे छोड़ दिया मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी गलती हो गई मुझसे, इस गलती के लिए में ना कभी तुम्हें माफ करूंगा और ना तुम्हें माफ करूंगा अनु।

वनराज कहता है इसलिए मैंने तुमसे कहा था अनुज कि इस औरत से दूर रहना, पीछे मुड़कर मत देखना लेकिन तब तुम्हें मेरी बात बुरी लग रही थी, यह अनुपम जोशी चाहे भी तो किसी का भला नहीं कर सकती यह औरत। आगे वह कहता है यह जहां जाती है दुख परेशानी साथ लेकर जाती है यह जहां जाती है दर्द इसके साथ में आता है, इसे कुछ नहीं होता पर बाकी सब ध्वस्त हो जाते हैं। तोशू कहता है आप खुद सोचिए ना, कैसी मां होगी यह कि इनके खुद के सगे बच्चे इनसे नफरत करते हैं। पाखी कहती है कि इतनी नफरत तो कोई अपने दुश्मन से भी नही करता जितनी नफरत हम हमारी मम्मी से करते हैं। किंजल उन दोनों को चुप रहने के लिए कहती है टीटू कहता है अपनी मां के बारे में यह सब बोलने में तुम्हें शर्म नही आ रही है। तोशू कहता है कौन मां? कैसी मां? इन्होंने मां बनना बहुत पहले छोड़ दिया था, पाखी कहती है कि यह अपने सगे बच्चों की सगी नहीं हो सकी तो किसी अडॉप्टेड बच्चों की सगी कैसे होगी? 

आगे तोशू कहता है औलाद तो औलाद इन्होंने अपने पतियों को भी बर्बाद कर दिया, पहले पापा को और अब अनुज जी को बर्बाद कर दिया हालत देखो इनकी। पाखी कहती है मम्मी आध्या की मौत के साथ, बड्डी के इस हालात की जिम्मेदार आप ही हो। किंजल रहती है आग बुझा नहीं सकते तो आज में घी डालने का काम भी मत करो। तोशू कहता है किस मिट्टी की बनी हो मम्मी आप, हमेशा ऐसे ही करती हो, अपनों को हमेशा बर्बाद करना और अजनबियों को आबाद करना, यह आदत है आपकी एक आवारा कुत्ते के लिए हमदर्दी है आपको लेकिन अपने सगे बच्चों के लिए बिल्कुल हमदर्दी नहीं है। वनराज कहता है कि तुम अनुपमा अपना नाम बदल दो, क्योंकि तुम मां कहलाने के और मां बनने के लायक हो ही नहीं, वह सब तो छोड़ो तुम्हारे तो नाम में भी मां रखने लायक नहीं हो तुम।

वह आगे कहता है जिंदगी भर दुनिया भर को तुमने रिश्तो के ऊपर लेक्चर दिए लंबे-लंबे भाषण दिए लेकिन खुद तुम एक रिश्ता नहीं संभाल पाई। अनुपम कहती है ना मुझे आप लोगों को कोई सफाई देनी है और ना ही अच्छी मां होने का सर्टिफिकेट, वह अनुज से कहती है अनुज आप चलिए इन लोगों की बातों पर ध्यान मत दीजिए। अनुज उसे रोककर खुद ही वहां से चला जाता है, वनराज कहता है यह आंसू तुमने अपनी किस्मत में खुद लिखे हैं अनुपमा, तुमने श्रुति का घर तोड़ा था और तब मैंने तुम्हें श्राप दिया था याद है? वह श्राप तुम्हें लग गया, इसीलिए तुम आज ना घर की रही और ना घाट की, सच पता है क्या है अनुपमा? सच यह है कि तुम कभी कुछ भी संभाल ही नहीं पाई, ना घर, ना गृहस्ती, ना बच्चे, ना पति, ना काम, ना सक्सेस, ना फेम, ना पैसा, ना मौका, इसीलिए सब कुछ मिलने के बाद भी आज तुम अकेली रह गई, और खाली हाथ रह गई, वह सभी को चलने के लिए कहता है।

आगे अंकुश कहता है अनुपमा का यहां पर आना किसी बुरी खबर से कम नहीं है, उसकी बातों से और एक्सप्रेशन से लग रहा था कि जैसे उसे कुछ पता है, वह हमारी बातें सुन तो रही थी लेकिन लिए कि नहीं कर रही थी, मुझे बस इस बात का डर है कि कहीं वह अनुज को ढूंढ ना ले, वह हमें ढूंढ सकती है तो अनुज को भी ढूंढ सकती है। बरखा कहती है हां सही कहा वह अनुपमा है कुछ भी कर सकती है, अंकुश कहता है हमने अनुज को आश्रम के सामने छोड़कर बहुत बड़ी गलती की, तो और क्या करते? उसकी दिमागी हालत तुम्हें याद थी क्या? कैसे बिहेव कर रहा था हर वक्त बस आध्या, आध्या, आध्या का जप कर रहा था। अंकुश कहता है लेकिन उसकी इस हालत के जिम्मेदार भी तो हम ही लोग थे हमने ही तो उसे झूठ बोला था कि आध्या मर चुकी है जबकि हमें खुद नहीं मालूम कि वह जिंदा है भी कि नहीं, कहीं आध्या वापिस आ गई तो।

प्रीकेप: अनुपमा के आज के प्रोमों में दिखाया जाता है कि अनुपमा, देविका से कहती है, मुझे तेरी मदद चाहिए सच में। देविका कहती है, बोल में तेरी क्या मदद करूं? अनुपमा कहती है, अनुज की हालत चाहे जैसे भी है, पर अपना सारा का सारा बिजनेस, अपना घर, अपनी इन्वेस्टमेंट, बरखा भाभी और अंकुश भाई के नाम कर देंगे, ऐसा नहीं हो सकता। देविका कहती है, इस बात पर तो मुझे भी यकीन नहीं हो रहा है। अनुपमा कहती है, मेरा मन जानता है कि मेरी बेटी जिंदा है, और ठीक है, बस अब उसे ढूंढना है, एक बार वह मिल जाएगी तो, मेरे अनुज भी ठीक हो जाएंगे। देविका कहती है की, तो इस पहेली का मिसिंग पीस आध्या है। तभी वहां दौड़ते हुए सागर आता है, और अनुपमा से कहता है कि, अनुज जी कमरे में नहीं है, और खिड़की भी खुली है। यह सुनकर अनुपमा के होश उड़ जाते हैं, और इसी के साथ आज का प्रोमों भी खत्म हो जाता है।

Anupma New Promo




Post a Comment

Previous Post Next Post