Anupama 14th July 2024 Episode Written Update: अनुपमा और अनुज की किंजल और देविका ने करवाई फोन पर बात

Anupama 14th July 2024 Episode Written Update
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Anupama 14th July 2024 Episode Written Update: अनुपमा के आज के एपिसोड की शुरूआत बा और बाबूजी से होती है। बा चाय पीते हुए कहती है कि, चाय अच्छी है जिसपर बाबूजी कहते हैं हां अच्छी है, फिर बा कहती हैं की अच्छी तो है लेकिन घर के मशाले चाय जेसी नहीं। कुछ देर बाद बा और बाबूजी से मिलने वहां तोशू और पाखी भी पहुंच जाते हैं। बा, तोशू और पाखी का इंट्रोडक्शन वृद्धआश्रम के लोगों से करवाती हैं। एक अन्य दादी और दादाजी कहते हैं की आप बहुत किस्मत वाले हैं पोता और पोती तो क्या, हमसे तो हमारी बहू और बेटे भी मिलने नहीं आते। बा और बाबूजी उन दोनों को बैठवाते हैं लेकिन तभी पाखी के हाथों से पेपर नीचे गिर जाते हैं, बाबूजी कहते हैं कि बहाने पेपर साइन करवाने आए हैं। इसपर पाखी कहती है कि, नही बाबूजी ऐसा नहीं है, हम आपसे मिलने आने ही वाले थे ना, तो पापा ने कहा की पेपर भी साइन करवा देना।

तोशू कहता है कि, वैसे इसमें बुरा मानने वाली कोई बात नहीं है जैसे आप लोगों ने पूरी जिंदगी अपने बच्चों के बारे में सोचा है हम भी बस अपने बच्चों का फ्यूचर ही तो सोच रहे हैं। पाखी कहती है हां बाबूजी आप खुद ही सोचिए अंश इशानी माही परी सब टेंट हाउस में रहेंगे, और वह जो टॉवर बनने वाली है उस टॉवर में स्विमिंग पूल, टेनिस स्पोर्ट, गार्डन बड़ा सा किड एरिया सब कुछ होने वाला है। बा कहती हैं, और उस फ्लैट में अकेलापन होगा उसका क्या? अभी सब परिवार साथ में रह रहे हैं ना फ्लैट में तो अलग-अलग रहेंगे। तुम अपने बच्चों को वो सुख सुविधा तो दे दोगै पर उनसे, उनके मन का सुख छीन रहे हो। बाबूजी बा से कहते हैं की अब किसी को घर नहीं चाहिए आलीशान बंगला या पेंट हाउस चाहिए। आजकल घर, घर नहीं एक दिखावे की चीज बन कर रह गया है खैर यह इनका जीवन जो करना है करने दो। वह तोशू से पेन मांगते हैं और पूछते हैं कहां साइन करना है। उनको साइन करता हुआ देख तोशू और पाखी खुश हो जाते हैं।

उधर अनुज और आध्या 20 घटों के सफर के बाद अमेरिका पहुंच जाते हैं आध्या अमेरिका आने पर बहुत खुश हो जाती है और वह कहती है कि शू के आने पर मैं उनसे मिलने जाऊंगी। मुझे यहां आने की खुशी में पूरे सफर में कोई थकावट नहीं हुई उसके बाद वह अनुज से कहती है मुझे अपने फ्रेंड्स के साथ शॉपिंग पर जाना है पॉप्स अपना कार्ड दीजिए। आध्या के जाने के बाद, घर की घंटी बजती और अनुज देखता है कि वहां देविका आई है, वह पूछता है कि तुम यहां यूएस में कैसे? देविका कहती है कि फॉरेन क्लाइंट के साथ सेमिनार में आई थी। लेकिन यह जरूरी बात नहीं है, जरूरी बात यह है कि, तू यहां अकेला क्या कर रहा है? किंजल से अगर मेरी बात नहीं होती, तो मेरे को तो पता ही नहीं चलता। मुझे जवाब दे, तू यहां अकेला क्या कर रहा है? और अनु को क्यों नहीं लाया? अनुज कहता है उसे फिर मेरे साथ नहीं आना। उसे आना नहीं था, तुझे उसे यहां लाना था।

उधर किंजल, अनुपमा से पूछती है कि आप उनके साथ क्यों नहीं गए। जवाब दीजिए चुप क्यों हैं? ऐसा क्या हुआ वहां प्लीज मुझे बताइए। मामाजी मुझे कह रहे थे की, आप मंदिर में बेहोश हो गई थी क्या हुआ था ऐसा? जरूर आध्या ने आपको कुछ कहा है, तुमलोग किसके लिए अलग हुए, आध्या के लिए? एक तेरह, चौदह साल की स्टूपिड और सेल्फिस बच्ची के लिए? वह आपकी लाइफ कंट्रोल कर रही है और आप उसे करने दे रहे हैं। आपके तीनों बच्चे गधे हैं पता है क्यों, क्योंकि आप उन्हें तब थप्पड़ मारती हैं जब पानी सर के ऊपर चला जाता है। और आध्या के केस में पानी सर के बहुत ऊपर चला गया है और आप उसे सुधार नहीं पाईं। कल जब उसकी शादी हो जायेगी वह तो बिजी हो जाएगी लेकिन आप दोनों का क्या? आपकी और अनुज जी की जिंदगी तो बर्बाद हो गई ना। उम्र बढ़ने पर एक पार्टनर की कमी खलती है और जिस उम्र में आप दोनों अलग हो रहे हैं क्या यह सही है? उधर देविका भी अनुज को समझती है और इधर किंजल अनुपमा को समझती है। वह जबरदस्ती अनु और अनुज के हाथों में फोन पकड़वाते हुए कहते हैं एक-दूसरे से बात कीजिए। अनु, अनुज को फोन लगती है और अनुज उठता है और मन ही मन खुश हो जाते हैं।


प्रीकेप: अनुपमा के आज के प्रोमों में दिखाया जाता है कि अनुपमा मन ही मन में कहती है, जिंदगी हर पल बदलती रहती है और आंसुओं को छुपाकर, मुस्कराकर, इस बदलते पल को अपना दोस्त बनाना ही पड़ता है। आगे अनुपमा छत पर जाती है, जहां उसकी नजर दादी और दादा पर पड़ती है, वह उनसे कहती है, ऐसे अच्छा लगता है क्या?, इतनी देर रात को ऐसे अकेले अकेले छत पर मिलना। अरे कम से कम मुझे तो बताना चाहिए था। आगे अनुपमा सभी से कहती है की, हमारे आशा भवन सेवा आश्रम में अब होगी दादी। इसके बाद अनुपमा दादी और दादाजी के मिलवाती है और दादी का हाथ पकड़कर दादाजी के हाथों में देती है। दादाजी कहते हैं, सच्चे प्यार की कीमत जानने वाला ही कोई, एक गुमनाम प्यार को नाम दे सकता है। प्रोमों के अंत में, दिखाया जाता है कि, अनुज अनुपमा को याद कर रहा है, और इधर अनुपमा भी, अनुज को याद कर रही है।


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