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Anupama 13th July 2024 Episode Written Update |
अनुज, अनुपमा को रोकने की पूरी कोशिश करता है लेकिन वह नहीं रुकती और कहती है मुझे किसी को कुछ नही समझना कोई दुनिया इधर की उधर नहीं करवानी मुझे बस अकेले रहना है। आप अमेरिका वापस जाइए कपाड़िया जी, वहां एक नए सिरे से अपनी जिंदगी शुरू कीजिए, मैं वहां नहीं आऊंगी। हम दोनों अलग अलग आगे बढ़ेंगे, हम एक दूसरे के लिए बने ही नहीं हैं, अगर बने होते तो आपको 26 साल इंतजार नहीं करना पड़ता, एक साल की शादी उसमें भी कभी आपको खुश नहीं रख पाई, कभी बच्चों की वजह से, कभी बरखा भाभी की वजह से, कभी किसी की वजह से तो कभी किसी की वजह से कभी किस्मत की वजह से, तो जो किस्मत में लिखा ही नहीं है ऐसा क्यों करें।
उधर आध्या अपना बैग पैक करते हुए कहती है की इतना टाइम हो गया है पॉप्स अब तक आए क्यों नही, कहीं उन्होंने वापस जाने का इरादा तो नहीं बदल दिया। नहीं, नहीं मम्मी ने मुझसे प्रॉमिस किया है वह अपना प्रॉमिस कभी नहीं तोड़ेगी। उधर अनुपमा, अनुज से कहती है, हाथ जोड़ती हूं कपाड़िया जी हम एक दूसरे से कभी नहीं मिलेंगे और गलती से सामने आ भी गए तो अपना रास्ता बदल लेंगे और अगर फिर भी सामने आ गए तो एक दूसरे को अनदेखा कर देंगे। अनुज कहता है ठीक है अगर हाथ जोड़ने की बात है तो मैं भी हाथ जोड़ता हूं अनु की ऐसा मत करो यार, बार बार मेरे साथ ऐसा किसने कहा है तुमसे यह सब, मेरी अनु के शब्द नहीं हो सकते, किसने कहा है तुमसे यह सब। अनुपमा कहती है, मेरे दिल के, किसी के कहने पर नहीं यह मेरी मर्जी है, मेरा फैसला है।
अनुज कहता है, की तुम हर फैसला अकेली क्यों लेती हो, किसने अधिकार दिया तुम्हें सारे फैसले खुद लेने का, यह सवाल हम दोनों की जिंदगी का है ना तो यह फैसला तुम अकेले कैसे ले सकती हो, ठीक है प्यार में हर फैसला तुम्हारा है और होना भी चाहिए लेकिन तुमसे प्यार करना है यह फैसला तो मेरा होना चाहिए ना। अनुपमा कहती है वह आपकी मर्जी है पर जो कुछ भी हमारे बीच था हमारे बीच है उसे में खत्म करती हूं। अनुपमा वहां से जाने लगती है अनुज कहता है ऐसे नहीं पहले मुझे बताओ की किसने कहने पर किया तुमने यह सब, किसने कहा है तुमसे यह सब कहने को श्रुति ने आध्या ने, किसने कहा है मुझे बताओ। अनुपमा कहती है किसी ने कुछ नहीं कहा मुझे जाने दीजिए। अनुज उसे पूछता है मुझे बताओ प्लीज किसने कहा, लेकिन अनुपमा अनुज को इमोशनली ब्लैकमेल करती है और उसे दूर जाने पर मजबूर कर देती है। लेकिन अनुज अंदर से टूट जाता है और अनुपमा भी रोते हुए कहती है सब खत्म हो गया।
उधर आध्या अनुज का इंतजार कर रही होती है और वह सोचती है कहीं ऐसा तो नहीं की मॉम ने पॉप्स को अलग होने को कहा हो लेकिन पॉप्स माने ना हो, वह पता लगाने के लिए अनुपमा को मैसेज करती है, 'आपने पॉप्स को दूर कर दिया ना'। अनुपमा अपनी फोटो खींचकर आध्या को भेजती है जिसपर आध्या कहती है, अगर इनका यह हाल है तो पॉप्स का क्या हाल होगा। उधर तोशू और पाखी, वनराज के कान पर कहते हैं कि पापा कुछ कीजिए वह कहते हैं ना एवरीथिंग इस फेयर इन लव एंड वॉर, तो इसे वॉर समझिए और मम्मी से धोखे से साइन करवा दीजिए। तोशू कहता है पापा आप नही समझ रहे हैं, अगर यह घर नहीं बिकेगा तो मैं अपना बिजनेस स्टार्ट नहीं कर पाऊंगा। पाखी कहती है, मेरे फ्रेंड्स के सामने मेरी कितनी बेज्जती हो जाएगी जानते हैं आप। इसके बाद तोशू और पाखी आपस में लड़ने लगते हैं वनराज गुस्से में कहता है चुप मरूंगा एक थप्पड़ दोनों को, अरे तुम दोनों बच्चे हो या गिद्ध, तुम्हारा बस चले तो अपने बाप को भी नोच के खा जाओगे। अपने बाप से तो कभी पूछा नहीं की आप कैसे हैं आपको स्ट्रेस तो नहीं हो रहा, बस अपनी पड़ी है अगर तुमने अब फ्लैट फ्लैट किया तो कसम महाकाल की मैं तुम्हें पार्किंग तक नहीं दूंगा।
उधर काव्या भी तोशू और पाखी को डांटते हुए कहती है की मैं वी से कहूंगी कि वह तुम्हें जो पेंट हाउस देने वाले हैं उसमें अपना भी नाम लिखवा लें, क्योंकि तुम दोनों तो पेंट हाउस देखकर पागल ही हो जाओगे। इस पर तोशू कहता है यह काव्या भी ना, मम्मी की तरह ही होती जा रही है। हमारी किस्मत में भी पता नहीं क्या लिखा है, सगी मां कम थी क्या, जो कि अब यह सौतेली मां भी हाथ धो कर पीछे पड़ गई। आगे आध्या, अनुपमा के पास पहुंचती है और इसके आंसू साफ करते हुए कहती है, इंडिया आते वक्त पॉप्स हमें इस टेंपल में लेकर आए थे, मैने फोटो देखी तो मैं समझ गई कि आप यही होंगी। अनुपमा कहती है तुझसे किया वादा निभा दिया, अपनी धड़कन को तुझे दे दिया, अब तेरे पापा सिर्फ तेरे हैं। अब तू खुश है ना, मैने जिंदगी भर उन्हें दुख दिया है, अब तू उन्हें खुशी देना। आध्या, अनुपमा को थैंक यू बोल कर जाने लगती है तभी अनुपमा उसे रोकती है और कहती है जो इमोशनल ब्लैकमेल तूने मुझे किया, किसी और के साथ मत करना क्योंकि मां पागल होती है पर यह दुनियां पागल नहीं है। और जो तूने मेरे साथ किया अपने पापा के साथ कभी मत करना, अगर किया तो मैं सारे कसमें, वादे तोड़कर सात समंदर पार आऊंगी और तुझे तमीज सिखाऊंगी। आध्या कहती है आई एम सॉरी और थैंक यू, मैं पॉप्स को हमेशा खुश रखूंगी, मैं आपका यह एहसान जिंदगी भर याद रखूंगी।
आगे अनुपम मंदिर से एक धागा लाती है और आध्या को पहना देती है और उससे कहती है की, मैं तेरे पापा से तो कभी नहीं मिल सकती, पर क्या तुझसे भी कभी नहीं मिल पाऊंगी। आध्या कहती है, मैं पॉप्स से कह दूंगी कि, वह अपनी और श्रुति की शादी में आपको जरूर बुलाएं मैं भी आपसे वही मिलूंगी। उसके बाद आध्या वहां से चली जाती है और अनुपमा रोने लगती है और अचानक चक्कर खाकर गिर जाती है। सुबह अनुज और आध्या कार में बैठकर एयरपोर्ट की और निकल पड़ते हैं और अनुपमा एकदम से अनुज, अनुज कहते हुए उठ जाती है, भावेश कहता है कि, अनु तुझे होश आ गया। अनुपम कहती है, मैं यहां कैसे? भावेश कहता है की, मंदिर में तुम बेहोश पड़ी थी पंडित जी ने तुम्हें पहचान लिया और जब मैने तेरे फोन में फोन किया तो उन्होंने फोन उठा लिया। डॉक्टर को भी पता नहीं था कि, तू बेहोश क्यों हुई, उन्होंने दवाई दि है और कहा है कि, एक भी डोज मिस नहीं करना। अनु जब रात भर तुझे होश नहीं आया तो मैं बहुत डर गया था मेरी हालत बहुत खराब हो गई थी, अनु खाली पेट दवाई नहीं खानी है। अनुपम अपने मोबाइल में टाइम देखती है और कहती है उनके जाने का टाइम हो गया है,। उधर भावेश अनुपमा के लिए पोहा और काड़ा बना कर लाता है और पता है कि अनुपमा वहां नहीं है। अनुपम दौड़ते हुए जाती है और कहती है कि जाने से पहले, एक बार में उन्हें जी भर कर देख तो लूं। वह दौड़ते हुए जाती है और ऑटो में बैठी है और उसे एयरपोर्ट चलने को कहती है बीच में रिक्शा खराब हो जाता है अनुपमा रिक्शे से उतर कर आसमान की और फ्लाइट को देखती है और एपिसोड खत्म हो जाता है।
प्रीकेप: अनुपमा के आज के प्रोमों में दिखाया जाता है कि अनुपमा मन ही मन में कहती है, जिंदगी हर पल बदलती रहती है और आंसुओं को छुपाकर, मुस्कराकर, इस बदलते पल को अपना दोस्त बनाना ही पड़ता है। आगे अनुपमा छत पर जाती है, जहां उसकी नजर दादी और दादा पर पड़ती है, वह उनसे कहती है, ऐसे अच्छा लगता है क्या?, इतनी देर रात को ऐसे अकेले अकेले छत पर मिलना। अरे कम से कम मुझे तो बताना चाहिए था। आगे अनुपमा सभी से कहती है की, हमारे आशा भवन सेवा आश्रम में अब होगी दादी। इसके बाद अनुपमा दादी और दादाजी के मिलवाती है और दादी का हाथ पकड़कर दादाजी के हाथों में देती है। दादाजी कहते हैं, सच्चे प्यार की कीमत जानने वाला ही कोई, एक गुमनाम प्यार को नाम दे सकता है। प्रोमों के अंत में, दिखाया जाता है कि, अनुज अनुपमा को याद कर रहा है, और इधर अनुपमा भी, अनुज को याद कर रही है।