Anupama 12th July 2024 Episode Written Update: जानिए अनुपमा के आज के पुरे एपिसोड के बारे में।

Anupama 12th July 2024 Episode Written Update
Anupama 12th July 2024 Episode Written Update


Anupama 12th July 2024 Episode Written Update: अनुपमा के आज के एपिसोड की शुरुआत बच्चों से होती है जो बा बाबूजी के घर आने को लेकर बातें कर रहे हैं। उधर किंजल बच्चों को देखकर रोने लगती है और वहां तोशू आ जाता है। तोशू, किंजल से पूछता है, क्या हुआ? किंजल इस पर जवाब देते हुए कहती है, बा बाबूजी के बिना अच्छा नहीं लग रहा है बच्चे बार बार पूछ रहे हैं कि बा बाबूजी कहां है? मैं कब तक झूठ बोलूंगी। मैं, डिंपी, काव्या एक दूसरे के सामने आ भी नही पा रहे हैं और अगर एक दूसरे के सामने आ गए तो अपने इमोशंस को कंट्रोल नहीं कर पाएंगे। तोशू कहता है, यार तुम औरतें इतना ड्रामेटिक क्यों होती हो? सही बात बताऊं अगर रोने, पीटने और इमोशनल ड्रामें का कोई वर्ल्ड कप होता ना, तो तुम इंडियन औरतें उसकी अनबीटेबल चैंपियन होती। कोई कंपटीशन नहीं होता एक बात बताओ वह दोनों अपनी खुशी से गए हैं, वहां खुश हैं, तो तुम लोगों ने घर में तमाशा क्यों बना रखा है? तुम लोग क्यों घर का माहौल खराब कर रही हो?

किंजल कहती है, शर्म करो, शर्म करो तोशू, शर्म करो बा बाबूजी तुम्हारे और पाखी की वजह से ही गए हैं। तोशू कहता है, ऐसा कुछ नहीं है हमारी वजह से नहीं गए वह उन्हें बस जाने का बहाना चाहिए था इसलिए मुझ पर और पाखी पर बिल फाड़ा उन्होंने और यह जितने भी बूढ़े लोग होते हैं न इनको आदत होती है यह सब करने की, इंपोटेंस चाहिए होती है, भाव खाते हैं इसलिए जान बूझकर। अरे कौन नहीं जानता हो सकता है वो वहां जाना चाहते हों। इस घर में काम करना पड़ता है अब छोटे छोटे चार बच्चे उनसे भी परेशान हो जाते होंगे और वहां जाकर आराम से चिल लाइफ जी रहे हैं। रिटायरमेंट होती है ना वहां रहेंगे, दोस्त बनाएंगे, डिएआई वाई करेंगे सबके साथ मिलके कीर्तन वीर्तन करेंगे चिल करेंगे आराम से। किंजल कहती है, तुमसे बात करने से अच्छा है कि मैं अपना सर दीवार पर फोड़ लूं। तुम्हें मुझसे बात नहीं करनी है मत करो, कोई फर्क नहीं पड़ता मुझे लेकिन मेरी बात समझो एक बार किंजल। यूएस में मर मर के काम करने से अच्छा है, यहां चिल करो आराम से रहो। देखो यह घर बिकेगा पेंट हाउस मिलेगा और बहुत सारे पैसे मिलेंगे तो तुम्हारा, मेरा, परी का फ्यूचर सिक्योर हो जाएगा।

अगर फ्यूचर की सिक्योरिटी ही देखनी होती ना तोशू तो मैं तुमसे शादी नहीं करती मेरे पास सबकुछ था, पैसा था, शानोशौकत थी, घर था, फैमिली बिजनेस था नौकर चाकर थे सब कुछ था बस मुझे एक चीज का दुख होता था कि मेरे पास फैमिली नहीं थी और वह मुझे यहां आकर मिली है। बा बाबूजी मम्मीजी समर सबका प्यार मिला है और रही बात काम की, तो जिंदगी में चाहे आपके पास कितना भी पैसा हो काम करना कभी बंद नहीं करना चाहिए। क्योंकि अगर काम करना बंद कर दिया ना तो आपके दिमाग में जंग लग जाता है जैसे तुम्हारे दिमाग में लगा है तुम और पाखी यह घर बेचकर पेंट हाउस तो ले लोगे, लेकिन उसे मकान को घर बनाने के लिए फैमिली कहां से लाओगे। तोशू कहता है, एक काम करते हैं किजल पहले पेंट हाउस मिलने दो फिर बताऊंगा मैं तुम्हें यह बोलकर तोशू वहां से चला जाता है। आगे बच्चे आपस में केक बननाकर बा बाबूजी के आने पर उन्हें सरप्राइज़ देने के लिए कहते हैं। किंजल एक बार फिर उनकी बातें सुनकर रोते हुए कहती है, बा बाबूजी इस परिवार की जड़ है यह जड़ ही नहीं रहेगी तो यह फैमिली कैसे सरवाइव कर पाएगा।

आगे एपिसोड में दिखाया जाता है की अनुपमा रोते हुए अनुज के साथ बिताए अपनी पुरानी यादों को याद कर रही है। वह कहती है, सॉरी अनुज अपनी बेटी से किया वादा निभाने के लिए मुझे आपका दिल तोड़ना पड़ेगा। अपनी बेटी को खुश रखने के लिए हमें अपने आप को जलाना पड़ेगा। कान्हा जी कहते हैं की, सबको सबकुछ नहीं मिलता जीवन में, लेकिन मुझे कभी भी कुछ भी नहीं मिलता, क्यों कान्हा जी? क्या मैं इतनी बुरी हूं कान्हा जी? सबके लिए कुछ ना कुछ, कुछ ना कुछ आप करते हैं तो मेरी झोली में कभी खुशियों क्यों नहीं आती कान्हा जी? मैं मेरे अनुज के दुख का कारण क्यों बन जाती हूं कान्हा जी? मुझे अनुज के बिना नहीं रहना कान्हा जी। क्यों अपनी बेटी को खुश करने के लिए मुझे अनुज से दूर जाना पड़ेगा कान्हा जी? आगे अनुज किंजल और काव्या से पूछता है तुमने अनु को देखा क्या? वह दोनों कहते हैं नहीं यहीं कहीं होगी अनुज उन्हें थैंक्यू कहकर चला जाता है। आगे वह डिंपी से पूछता है कि अनु को देखा क्या? वह भी कहते हैं नहीं।

आगे अनुज अनुपमा को ढूंढते हुए वनराज से टकरा जाता है वनराज अनुज से कहता है कि यार तुम बार बार मुझसे क्यों टकराते हो भाई, वह वनराज और वहां पर उपस्थित सभी लोगों से पूछता, तुमने अनु को देखा क्या? मुझे बहुत जरूरी काम था उससे। वनराज, अनुज से पूछता है की अगर अनुपमा यहां पर होती तो इतनी शांति होती क्या? वैसे तुम वापस कब जा रहे हो? अब तो आध्या भी ठीक हो गई। अनुज कहता है, आध्या और मैं लक्की थे की हमें कल का टिकट मिल गया वैसे हम कल की फ्लाइट से यूएस वापस जा रहे हैं। काव्य रहती है इतनी जल्दी थोड़ा दिन और रुक जाते, अनुज कहता है काव्य जाना पड़ेगा। वनराज कहता है, वैसे शादी वाले घर से मेहमान को कभी खाली हाथ नहीं भेजा जाता है इसलिए तुम्हें मैं एक एडवाइज देकर भेजूंगा, पीछे मुड़कर मत देखो यार तो तुम सुखी रहोगे और तुम्हारी बेटी भी तो यही चाहती है ना तो बेटी पर फोकस करो प्यार को रहने दो प्यार सिर्फ दर्द देता है।

अनुज कहता है, प्यार के मामले में मैं तुमसे तो बेहतर जानता हूं, वनराज कहता है, चलो तुम्हारी खुशी के लिए यह भी मान लेते हैं लेकिन प्यार का अंजाम क्या होता है अनुज यह तुमसे बेहतर मैं जानता हूं प्यार सिर्फ चेहरे पर उदासी देता है आंखों में आंसू देता है और दिलों में गम, यही प्यार का अंजाम होता है वह अनुपमा की ओर देखता है। वनराज की बातें सुनकर अनुज हंसने लगता है अरे यह प्यार का अंजाम नहीं है यह सिर्फ एक पड़ाव है यही चूक खा गए, मात खा गए तुम यार। खैर मैं समझा देता हूं, प्यार में हार जीत होती नहीं है प्यार के हजारो रंग में से यह एक रंग है। और अंत में यह हार जीत, नफा नुकसान यह सारे रंग प्यार के बड़े रंग में मिल जाते हैं क्योंकि और में तुम्हें पता नहीं होगा लेकिन जीत प्यार की होती है। हमने तो हमेशा हराते हुए देखा है 26 साल का इंतजार फिर एक साल का मिलन फिर 5 साल की जुदाई, ऐसे प्यार का क्या फायदा? जो आम लोग होते हैं ना इनको समझ ही नहीं आता क्योंकि प्यार में नफा नुकसान फायदा यह सब नहीं देखा जाता।

इसका मतलब आम लोग तुमसे ज्यादा समझदार है क्योंकि इतना बड़ा बिजनेसमैन अनुज कपाड़िया क्या बड़ा बिजनेसमैन है। इतना बड़ा बिजनेसमैन है, लेकिन करता तो घाटे का सौदा ही है। अनुज कहता है ना आम आदमी बिजनेस के बारे में न ही बोले तो बेहतर है क्योंकि अनुज बिजनेस तो बहुत अच्छा है लेकिन रही बात दिल की तो इसमें अगर आप जीत गए तो प्यार के साथ रहते हैं लेकिन अगर आप हार गए तो प्यार के यादों के साथ रहते हैं हमेशा के लिए। तुम्हें लगता है तुम जीत गए।

प्रीकेप: अनुपमा के आज के प्रोमों में दिखाया जाता है कि अनुपमा मन ही मन में कहती है, जिंदगी हर पल बदलती रहती है और आंसुओं को छुपाकर, मुस्कराकर, इस बदलते पल को अपना दोस्त बनाना ही पड़ता है। आगे अनुपमा छत पर जाती है, जहां उसकी नजर दादी और दादा पर पड़ती है, वह उनसे कहती है, ऐसे अच्छा लगता है क्या?,  इतनी देर रात को ऐसे अकेले अकेले छत पर मिलना। अरे कम से कम मुझे तो बताना चाहिए था। आगे अनुपमा सभी से कहती है की, हमारे आशा भवन सेवा आश्रम में अब होगी दादी। इसके बाद अनुपमा दादी और दादाजी के मिलवाती है और दादी का हाथ पकड़कर दादाजी के हाथों में देती है। दादाजी कहते हैं, सच्चे प्यार की कीमत जानने वाला ही कोई, एक गुमनाम प्यार को नाम दे सकता है। प्रोमों के अंत में, दिखाया जाता है कि, अनुज अनुपमा को याद कर रहा है, और इधर अनुपमा भी, अनुज को याद कर रही है।


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